वर्ग और वर्गमूल फार्मूला गणित के मुख्य आधार माने जाते है. क्योंकि, मैथ्स के अधिकतर प्रश्न इस पर आश्रित होते है. अपने गणना शैली को और अधिक विकशित करने के लिए वर्ग एवं वर्गमूल से सम्बंधित फार्मूला, परिभाषा एवं इसके महत्वपूर्ण तथ्यों के विषय में समझना अत्यंत अवश्यक है.
सलाहकार यानि शिक्षक हमेशा ऐसे विषयों में बल देते है ताकि विद्यार्थी को गणित की गणना करने में कभी भी परेशानी न हो. इन्ही तथ्यों को ध्यान में रखते हुए वर्ग और वर्गमूल के कुछ विशेष पहलुओं को यहाँ प्रदान किया गया है जो कम्पटीशन एग्जाम या बोर्ड एग्जाम, दोनों के लिए महत्वपूर्ण है.
वर्ग एवं वर्गमूल क्या है?
किसी संख्या को मूल संख्या से गुणा करने पर जो गुणनफल प्राप्त होता है, उसे वर्ग तथा √(x) वाला संख्या का वर्ग करने पर पुनः वही संख्या प्राप्त होता है, उसे वर्गमूल कहते है. इसके विस्तृत रूप को निचे परिभाषा के अनुसार वर्णन किया गया है.
वर्ग की परिभाषा:
जब किसी संख्या को उसी संख्या से गुणा किया जाता है, तो प्राप्त संख्या को उस संख्या का वर्ग कहलाता हैं.
जैसे: 42 = 4 x 4 = 16 आदि.
वर्ग का ज्यामितीय अर्थ:-
वैसा चतुर्भूज, जिसके चरों भुजाएँ बराबर हो तथा प्रत्येक कोण समकोण हो, तो वह वर्ग कहलाता है.
- वर्ग की भुजा = a2
- तथा परिमाप = 4 x (भुजा)2 होता है.
वर्गमूल की परिभाषा
किसी संख्या x का वर्गमूल √(x) या ( x )1/2 वह संख्या होती है जिसका वर्ग करने पर पुनः वह संख्या प्राप्त होती है.
जैसे:- (√(x))2 = x आदि.
वर्गमूल चिन्ह √ का अर्थ
√ — यह संकेत अक्षर r का रूपांतरित रूप है. यह लैटिन शब्द Radi से से बना है जिसका अर्थ “मूल” होता है.
- 2√a या √a = a का वर्गमूल
- 3√a = a का घनमूल
- 4√a = a का चौथा मूल
- n√a = a का n वाँ मूल
वर्ग निकालने की ट्रिक्स
1. जिस संख्या के इकाई अंक 5 हो, तो ..
- Step 1. ` दायें से पहले अंक लिख देते है.
- Step 2. दी गई संख्या में 5 के अतिरिक्त अंक को उससे एक अधिक से गुणा कर लिखते है.
जैसे:- 52 = 25 आदि.
2. इस फार्मूला के मदद से वर्ग असानी ज्ञात किया जा सकता है.
- (a+b)2 = a2 + 2ab + b2
- (a-b)2 = a2 – 2ab + b2
किसी भी धनात्मक संख्या का वर्गमूल निकालने की विधि
वर्गमूल दो विधियों द्वारा निकाला जाता है
- गुणनखण्ड विधि
- भाग विधि
Note:-
रिनात्मक संख्या का वर्गमूल वास्तविक नही होता है, यानि काल्पनिक होता है. जो संख्या पूर्ण वर्ग नही होती है, उसका असांत अनावर्तदशमलव संख्या यानि अपरिमेय वास्तविक संख्या होती है.
वर्ग एवं वर्गमूल फार्मूला
- √ab = √a × √b
- (ab)1/2 = √a . b1/2 = a1/2 b1/2
- √a/b = √a / √b
- √(a/b) = (a)1/2 / (b)1/2
- (a-b)2 = a2 – 2ab + b2
- (a+b)2 = a2 + 2ab + b2
- (a+b)2 + (a-b)2 = 2(a2 + b2)
- (ab)1/2 = √ab
वर्ग और वर्गमूल के महत्वपूर्ण तथ्य
- किसी संख्या का वर्ग करने पर प्राप्त गुणनफल में अंकों की संख्या, संख्या के अंकों के दोगुने या दोगुने से 1 कम होती है.
- अपूर्ण वर्ग संख्या का वर्गमूल हमेशा एक अपरिमेय संख्या होती है. जैसे:- √2 ….. आदि.
- यदि संख्या में x अंक है, तो उसके वर्ग में अंकों की संख्या 2x या ( 2x – 1 ) होता है. यह नियम केवल वर्ग के लिए ही सिमित है.
- प्रथम n विषम प्राकृत संख्या का योग = n2 होता है.
- पूर्ण वर्ग संख्या 2, 3, 7 व 8 से अंत नही होती है.
- 1 से छोटी संख्या का वर्गमूल, उस संख्या से हमेशा बड़ी होती है.
- किसी संख्या A के वर्ग को A2 से तथा वर्गमूल को √A से सूचित किया जाता है.
- यदि किसी संख्या में दशमलव के बाद अंकों की संख्या विषम हो तो अन्त में एक शून्य अवश्य लगाएं.
- किसी पूर्ण वर्ग संख्या के अन्त में शून्यों की संख्या कभी भी विषम नहीं होती है.
- प्रथम n सैम प्राकृत संख्या का योग = n ( n + 1 ) होता है.
- 1 को छोड़कर किसी भी संख्या का वर्ग 3 या 4 के गुणज से 1 अधिक होता है , अथवा 3 या 4 का गुणज होता है.
- यदि किसी संख्या में इकाई अंक रूप में 2, 3, 7 या 8 हो, तो वे निश्चित रूप से पूर्ण वर्ग नही होंगे और उसका वर्गमूल पूर्णांक नही होंगे.
- सम संख्या का वर्गमूल सम तथा विषम संख्या का वर्गमूल विषम होता है.
- पूर्ण वर्ग संख्या का वर्गमूल (Vargmul) एक परिमेय संख्या होता है.
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