उपसर्ग की परिभाषा, भेद और उदाहरण | Upsarg in Hindi Vyakarn

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हिंदी व्याकरण में उपसर्ग की भूमिका सर्वाधिक माना गया है. क्योंकि, यह किसी शब्द के पहले आकर नए शब्द का निर्माण करता है. Upsarg in Hindi से प्रश्न और टॉपिक अकादमिक और प्रतयोगिता एग्जाम में प्रश्न पूछा जाता है. इसे अंग्रेजी में Prefix कहते है जो किसी शब्द के पहले प्रयुक्त होता है.

व्याकरण एवं शब्दों को सरलता से समझने के लिए उपसर्ग की परिभाषा, भेद, नियम और उदाहरण को बारीकी से समझना आवश्यक है. क्योंकि, शब्दों में उपसर्ग भी भूमिका अधिक होने के साथ प्रभावशाली भी होता है. यहाँ Upsarg in Hindi Vyakarn के माध्यम परिभाषा के साथ भेद और उदाहरण भी उपलब्ध है जो उपसर्ग के विषय में उचित जानकारी प्रदान करता है.

उपसर्ग की परिभाषा

उपसर्ग वह शब्दांश या अव्यय है, जो किसी शब्द के पहले जुड़कर उसके अर्थ में (मूल शब्द के अर्थ में) विशेषता ला दे या उसका अर्थ ही बदल दे।

दुसरें शब्दों में, उपसर्ग किसे कहते है?

संस्कृत से उत्पन्न भाषाओं में उस अव्यय या शब्द को उपसर्ग कहते हैं जो कुछ शब्दों के आरंभ में जुड़कर उनके अर्थों में विशेषता उत्पन्न करता है. जैसे;

  • अभि + मान = अभिमान
  • प्र + चार = प्रचार आदि
  • प्र + हार = प्रहार

उपसर्ग का अर्थ है पास में बैठकर दूसरा नया शब्द अर्थ वाला शब्द बनना। ‘हार’ के पहले ‘प्र’ उपसर्ग लगा दिया गया, तो एक नया शब्द प्रहार बन गया, जिसका नया अर्थ हुआ ‘मरना’।

Note: उप + सर्ग = उपसर्ग

उपसर्ग दो शब्दों के (उप + सर्ग) योग से बनता है। उप’ का अर्थ है – समीप’, ‘निकट’ या पास  और ‘सर्ग’ का-सृष्टि करना। ये Upsarg in Hindi Vyakarn के प्रमुख तथ्य है.

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उपसर्ग की तीन गतियाँ या विशेषताएँ होती हैं

1. शब्द के अर्थ में नई विशेषता लाना। जैसे-

  • प्र + बल = प्रबल
  • अनु + शासन = अनुशासन

2. शब्द के अर्थ को उलट देना। जैसे-

  • अ + सत्य = असत्य
  • अप + यश = अपयश

3. शब्द के अर्थ में, कोई खास परिवर्तन न करके मूलार्थ के इर्द-गिर्द अर्थ प्रदान करना । जैसे

  • वि + शुद्ध = विशुद्ध
  • परि + भ्रमण = परिभ्रमण

यहाँ ‘उपसर्ग’ और ‘शब्द’ का अंतर समझ लेना चाहिए। शब्द अक्षरों का एक समूह है, जो अपने में स्वतंत्र है, अपना अर्थ रखता है और वाक्यों में स्वतंत्रतापूर्वक प्रयुक्त होता है। लेकिन, उपसर्ग अक्षरों का समूह होते हुए भी स्वतंत्र नहीं है और न स्वतंत्ररूप से उसका प्रयोग ही होता है। जब तक किसी शब्द के साथ उपसर्ग की संगति नहीं बैठती, तब तक उपसर्ग अर्थवान् नहीं होता।

संस्कृत में शब्दों के पहले लगनेवाले कुछ निश्चित शब्दांशों को ही उपसर्ग कहते हैं और शेष को अव्यय। हिंदी में इस तरह का कोई अंतर नहीं है। हिंदी भाषा में ‘उपसर्ग’ की योजना व्यापक अर्थ में हुई है।

Note: उपसर्ग शब्द निर्माण में बड़ा ही सहायक होता है। एक ही मूल शब्द विभिन्न उपसर्गों के योग से विभिन्न अर्थ प्रकट करता है। जैसे-

  • प्र + हार = प्रहार     :  चोट करना
  • आ + हार = आहार  :  भोजन
  • सम् + हार = संहार  : नाश
  • वि + हार = विहार   : मनोरंजनार्थ यत्र तत्र घूमना
  • परि + हार = परिहार : अनादर, तिरस्कार
  • उप + हार + उपहार  : सौगात
  • उत् = हार + उद्धार   : मोक्ष, मुक्ति

उपसर्गों की संख्या

हिंदी में जो उपसर्ग मिलते हैं, वे संस्कृत, हिंदी और उर्दू भाषा के हैं। इन भाषाओं से प्राप्त उपसर्गों की संख्या इस तरह निश्चित की गई है

1. संस्कृत के उपसर्ग           :  कुल 22 उपसर्ग

2. हिन्दी के अपने उपसर्ग     :  कुल 10 उपसर्ग

3. विदेशज उपसर्ग             :  कुल 12 उपसर्ग

ये उपसर्ग जहाँ कहीं भी किसी संज्ञा या विशेषण से जुड़ते हैं, वहाँ कोई न कोई समास अवश्य रहता है। यह सोचना भ्रम है कि उपसर्ग का योग समास से स्वतंत्र रूप में नये शब्द के निर्माण का साधन है। हाँ, समास के कारण भी कतिपय जगहों पर शब्द निर्माण होता है।

अव्ययीभाव समास

  • आ + जीवन = आजीवन
  • प्रति + दिन = प्रतिदिन
  • सम् + मुख = सम्मुख
  • अभि + मुख = अभिमुख
  • अधि + गृह = अधिगृह
  • उप + गृह = उपगृह

तत्पुरुष समास

  • प्र + आचार्य = प्राचार्य
  • प्र + ज्ञ = प्रज्ञ
  • अति + इन्द्रिय = अतीन्द्रिय

बहुव्रीहि समास

  • प्र + बल = प्रबल      :  प्रकृष्ट हैं बल जिसमें
  • निर् + बल = निर्बल   :  नहीं है बल जिसमें
  • उत् + मुख = उन्मुख  :  ऊपर है मुख जिसका
  • वि + मुख = विमुख   :  विपरीत है मुख जिसका

संस्कृत के उपसर्ग

उपसर्गअर्थशब्दरूप
सिमा, ओर ,समेत, उल्टा, कमीआगमन, आरोहण, आकार, आहार, आदेश, आचरण, आरंभ, आक्रमण, आजीवन, आक्रोश इत्यादि।
अतिअधिक, ऊपर, उस परअतिकाल, अत्याचार, अतिपात, अतिरिक्त, अत्यंत, अतिक्रमण इत्यादि।
अधीश्रेस्ट, ऊपर, समीपता, उपरिभावअधिपति, अधिकार, सधिगत, अध्ययन, अधीक्षक, अध्यवसाय, अधिराज इत्यादि।
प्रगति, यश, अधिक, आगे, उत्पती, उत्कर्ष,प्रबल, प्रताप, प्रक्रिया, प्रत्यन, प्रलोभन, प्रदान, प्रकोप इत्यादि।
परा नाश, अनादर, पीछे, उल्टापराजय, पराभव, पराक्रम, परामर्श, पराकाष्ट, पराभूत इत्यादि।
अपहीनता, दूर, लधुता, ले जानाअपमान, अपयश, अपकार, अपहरण, अपराध, अपकर्ष, अपादान, अपवाद इत्यादि।
सम्अच्छा, पूर्ण, साथ, संयोगसंगम, संवाद, संतोष, संस्कार, समालोचना, संयुक्त, संग्रह, संकल्प, संहार, सरक्षण इत्यादि।
अनुनिम्न, समान, क्रम, पीछे, पश्चात, समानताअनुवाद, अनुभव, अनुराग, अनुशासन, अनुशीलन, अनुकरण, अनुज, अनुपात, इत्यादि।
अवअनादर, हीनता, पतन, विशेषताअवकाश, अवनत, अवतार, अवमान, अवसर, अवधि, अवगत, अवरोहण, अवशेष इत्यादि।
निस्रहित, पूरा, विपरीतनिस्तार, निस्सार, निस्तेज, निष्कृति, निश्चय, निष्पन्न इत्यादि।
निर्बिना, बाहर, निषेधनिरपराध, निर्जन, निराकार, निर्वाह, निर्गम, निर्णय, निर्मम, निर्यात, निर्देश इत्यादि।
दुस्बुरा, कठिनदुश्शासन, दुष्कर, दुस्साहस, दुस्तर, दुःसह इत्यादि।
दुरकठिनता, दुष्टता, निंदा, हीनतादुर्जन, दुराचार, दुर्लभ, दुर्दिन इत्यादि।
विभिन्नता, हीनता, असमानता, विशेषतावियोग, विवरण, विमान, विज्ञान, विदेश, विहार इत्यादि।
निनिषेध, निश्चित, अधिकता, भीतर, नीचेनिवारण, निपात, नियोग, निवास, निगम, निदान इत्यादि।
सुउत्तमता, सुगमता, श्रेष्ठता, सुखी,भावसुगम, सुजन, सुकाल, सुलभ, सुपच, सुरम्य, इत्यादि।
उत्ऊँचा, श्रेष्ठ, ऊपरउत्कर्ष, उदय, उत्पत्ति, उत्कृष्ट, उत्पात, उद्धार इत्यादि।
अभिसामने, पास, अच्छा, चारों ओरअभिमुख, अभ्यागत, अभिप्राय, अभिकरण, अभिधान, अभिनव इत्यादि।
परिआस-पास, सब तरफ,परिक्रमा, परिजन, परिणाम, परिमाण, परिश्रम, परित्यक्त इत्यादि।
उपनिकट, सदृश, गौण, सहायता, लघुताउपवन, उपकूल, उपकार, उपहार, उपार्जन, उपेक्षा, उपादान, उपपत्ति इत्यादि।
प्रतिविशेषार्थ में, विरोध, बराबरी, प्रत्येकप्रतिकार, प्रतिज्ञा, प्रतिष्ठा, प्रतिदान, प्रतिभा, प्रतिमा इत्यादि।

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हिंदी के उपसर्ग

उपसर्गअर्थशब्दरूप
अ/अनअभाव, निषेधअछूता,अचेत,अनमोल,अनपढ़,अनगढ़ अनपढ़ इत्यादि।
क/कुबुराई, नीचता, हीनताकुचाल, कुठौर, कपूत, कुपात्र, कुखेत, कुढ़ग  इत्यादि।
अधआधाअधपका, अधमरा, अधकचरा इत्यादि।
औ/अवहीनता, अनादर, निषेधअवगुण, औघट, औढ़र इत्यादि।
निनिषेध, अभावनिडर, निकम्मा, निहत्था, निठुर इत्यादि।
भरपूराभरपेट, भरपूर, भरसक, भरपूर, भरदिन इत्यादि।
सु/सउत्तमता, साथसुडौल, सुजान, सपूत, सुघड़, सुपात्र इत्यादि।
उनएक कमउनचास, उनतीस, उनासी, उनसठ, उनहत्तर इत्यादि।
दुकम, बुरादुबला, दुकाल इत्यादि।
बिनअभाव, बिना, निषेधबिनदेखा, बिनबोला,बिनजना इत्यादि।

विदेशज उपसर्ग अरबी-फारसी के उपसर्ग

उपसर्गअर्थशब्दरूप
कमअल्प, हीनकमजोर, कमसिन, कमउम्र इत्यादि।
खुशउत्तमताखुशबू, खुशहाल, खुशखबरी, खुशदिल इत्यादि।
गैरनिषेध, रहितगैरहाजिर, गैरकानूनी, गैरिसरकारी इत्यादि।
दरअन्दर, मेंदरअसल, दरहकीकत, दरकार इत्यादि।
नाअभाव, रहितनालायक, नाजायज, नापसंद इत्यादि।
अनुसारबनाम, बदौलत इत्यादि।
बदहीनताबदतमीज, बदबू, बदमाश, बदनाम इत्यादि।
बरपरबरवक्त, बरखास्त इत्यादि।
बासेबाकायदा, बाकलम इत्यादि।
बिलाबिनाबिलाअक्ल, बिलारोक इत्यादि।
बेअभावबेईमान, बेवकूफ, बेहोश इत्यादि।
लाअभाव, बिनालाजवाब, लावारिस, लापरवाह इत्यादि।
सरश्रेष्ठसरताज, सरपंच, सरनाम इत्यादि।
हमसाथ, बराबर, समानहमदर्द, हमसफर, हमउम्र, हमराज इत्यादि।
हरप्रत्येकहररोज, हरघड़ी, हरदफा इत्यादि।

दो उपसर्गों से निर्मित शब्द

  • निर् + आ + करण = निराकरण
  • प्रति + उप + कार = प्रत्युपकार
  • सु + सम् + कृत = सुसंस्कृत
  • अन् + आ + हार = अनाहार
  • सम् + आ + चार = समाचार
  • अन् + आ + सक्ति = अनासक्ति
  • अ + सु + रक्षित = असुरक्षित
  • सम् + आ + लोचना = समालोचना
  • सु + सम् + गठित = सुसंगठित
  • अ + नि + यंत्रित = अनियंत्रित
  • अति + आ + चार = अत्याचार
  • अ + प्रति + अक्ष = अप्रत्यक्ष

पूछे जाने वाला सामन्य प्रश्न: FAQs

Q. उपसर्ग क्या है उदाहरण सहित लिखिए?

ऐसे शब्दांश जो किसी शब्द के पहलेजुड़ कर उसके अर्थ में परिवर्तन कर दे या उसके अर्थ में विशेषता ला देते हैं, उसे उपसर्ग कहते है. उदाहरण: अ + सुंदर = असुंदर, अति + सुंदर = अतिसुंदर, आ + हार = आहार आदि.

Q. उपसर्ग के कितने भेद होते हैं?

हिंदी में उपसर्ग के तीन भेद होते है, जो इस प्रकार है:

  • तत्सम उपसर्ग
  • तद्भव उपसर्ग
  • आगत उपसर्ग

Q. उपसर्ग किसे कहते हैं?

उपसर्ग वह शब्दांश या अव्यय है, जो किसी शब्द के शुरू में जुड़कर उसके अर्थ में विशेषता या उसका अर्थ बदल देता है. जैसे; अभि + मान = अभिमान, प्र + चार = प्रचार, प्र + बल = प्रबल, अनु + शासन = अनुशासन आदि.

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