हिंदी व्याकरण में सर्वनाम का अध्ययन भाषा को बारीकी से पहचानने का समझ प्रदान करता है कि कैसे संज्ञा के बदले सर्वनाम का प्रयोग सरलता से किया जाएँ. Sarvanam in Hindi का अध्ययन, संज्ञा का वाक्य में बार-बार प्रयोग करने से रोकता है. क्योंकि, संज्ञा का प्रयोग किसी भी वाक्य में ज्यादा बार करना उचित नही माना जाता है.
इसलिए, किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि, के नाम के स्थान पर सर्वनाम का प्रयोग होता है जो वाक्य को सुन्दर और अर्थवान बनाता है. Sarvanam से सम्बन्धी प्रश्न अकादमिक और प्रतियोगिता एग्जाम पूछा जाता है. जो इस बात को प्रमाणित करता है कि सर्वनाम का अध्ययन व्यक्तिगत जीवन के साथ-साथ एग्जाम के लिए भी आवश्यक है.
सर्वनाम की परिभाषा
सर्वनाम उस विकारी शब्द को कहते हैं, जो पूर्वपरसंबंध से किसी भी संज्ञा को बदले आता है. उसे सर्वनाम कहते है। अर्थात, संज्ञा के बदले जिन शब्दों का प्रयोग होता है, उसे सर्वनाम कहते है।
दूसरे शब्दों में, सर्वनाम किसे कहते है?
जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा अर्थात किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि, के नाम के बदले होता हैं, उसे सर्वनाम कहते है. साधारणतः भाषा से समझे तो संज्ञा के बदले प्रयुक्त होने वाला विकारी शब्द को सर्वनाम कहते है। जैसे;
राम शिक्षक हैं जो पढ़ा रहे हैं। |
आपने आज व्यायाम नहीं किया। |
वह एक बहादुर लड़की है। |
वह पैन मेरा नहीं है। |
वह कौन है, जो खेत में घुस रहा है? |
वे कुछ खा रहे हैं। |
यह घर मेरे दादाजी ने बनवाया था। |
कोई आ रहा है। |
उपरोक्त उदाहरण में मोटे अक्षर वाले शब्द “Sarvanam” है, क्योंकि ये संज्ञा के बदले आये है. यदि सर्वनाम का प्रयोग न किया जाए, तो उपर्युक्त वाक्य भद्दे लगेंगे.
सर्वनाम के कार्य
हिंदी व्याकरण में Sarvanam के निम्नलिखित प्रमुख कार्य है:
1. संज्ञा जहाँ उसी वस्तु का बोध कराती है जिसका वह नाम है, वहाँ Sarvanam किसी भी वस्तु का बोध कराता है, यदि पहले वह संज्ञा आ गई है. जैसे;
- मनीष अच्छा लड़का है. – वह मेरा भाई है.
- सीता सुन्दर लड़की है. – वह मेरी बहन है.
- इस जानवर को देखो. – यह मेरा है.
- मुखे कई कलमें है. – वे कीमती है.
2. सर्वनाम नामों अर्थात संज्ञाओं की पुनरुक्ति रोकता है. जैसे;
पुनरुक्ति दोष | पुनरुक्ति दोषरहित |
मोहन अच्छा लड़का है. | मोहन अच्छा लड़का है. |
मोहन 10वी में पढ़ता है. | वह 10वी में पढ़ता है. |
मोहन पढ़ने में तेज है. | वह पढ़ने में तेज है. |
3. सर्वनाम आदर-अनादर या छोटे-बड़े का बोध कराता है. जैसे;
- आप मेरी बहन है. – आदर या बड़े का बोध
- तू मेरी बहन है. – अनादर या छोटे का बोध
4. सर्वनाम निकटता और दुरी का बोध कराता है. जैसे;
- यह लड़का है.
- ये लड़के है. – निकटता का बोध
- वह लड़का है.
- वे लड़के है. – दुरी का बोध
5. सर्वनाम निश्चय और अनिश्चय का बोध कराता है. जैसे;
- उसे बुलाओ. – निश्चित व्यक्ति
- किसी को बुलाओं. – अनिश्चित व्यक्ति
6. सर्वनाम प्रधान वाक्य और आश्रित वाक्यों में सम्बन्ध जोड़ता है. जैसे;
बिना विचारे जो कर, सो पूछे पछताय.
हिंदी व्याकरण के मूल सर्वनाम
हिंदी में सर्वनामो की संख्या ग्यारह है, ( मै, तू, आप, वह, यह, जो, सो, कोई, कुछ, कौन, क्या ) ये सभी संज्ञा के बदले प्रयुक्त होने वाले Sarvanam है.
- मैं
- आप
- तू
- यह
- वह
- कौन
- क्या
- कोई
- कुछ
- जो
- सो
Note: इन्ही मूल सर्वनामों से विभिन्न प्रकार के सर्वनामों की उत्पत्ति हुई है.
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सर्वनाम के भेद
व्याकरण में प्रयोग की दृष्टि से सर्वनाम के 6 भेद है, जो इस प्रकार है:
- पुरुषवाचक सर्वनाम
- निजवाचक सर्वनाम
- निश्चयवाचक सर्वनाम
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम
- संबंधवाचक सर्वनाम
- प्रश्नवाचक सर्वनाम
इसे निम्न प्रकार भी परिभाषित किया जा सकता है:
पुरूषवाचक सर्वनाम | मैं, तू, वह, मैंने |
निजवाचक सर्वनाम | आप |
निश्चयवाचक सर्वनाम | यह, वह |
अनिश्चयवाचक सर्वनाम | कोई, कुछ |
संबंधवाचक सर्वनाम | जो, सो |
प्रश्नवाचक सर्वनाम | कौन, क्या |
पुरुषवाचक सर्वनाम
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग बोलने वाले, सुनने वाले तथा अन्य किसी व्यक्ति के स्थान पर किया जाता है, उन्हें पुरूषवाचक सर्वनाम कहते हैं।
दूसरे शब्दों में
पुरुषवाचक सर्वनाम पुरुषों (स्त्री या पुरुष) के नाम के बदले आते हैं। उन्हें पुरुषवाचक सर्वनाम कहते है। उत्तमपुरुष में लेखक या वक्ता आता है, मध्यमपुरुष में पाठक या श्रोता और अन्यपुरुष में लेखक और श्रोता को छोड़ अन्य लोग आते हैं।
मैं गाना गाना चाहती हूं। |
मै घूमना चाहता हूँ। |
हम लोग क्या कर रहे है। |
तुम मुझे बहुत अच्छे लगते हो। |
तुम्हारा नाम क्या है? |
आप जहाँ भी रहती हैं खुशियों का माहौल रहता है। |
वह ईमानदार लड़का है। |
ये कोन है, इसे मै नही पहचानता हु। |
पुरूषवाचक सर्वनाम का भेद
- उत्तमपुरुष
- मध्यमपुरुष
- अन्यपुरुष
उत्तमपुरुष:
जिस सर्वनाम का प्रयोग वक्ता/बोलने वाला लिखने वाला खुद के बारे में बताने के लिए करता है। जैसे: मैं, हम आदि।
अगर कोई वक्ता वह अपने बारे में किसी को कुछ बतला चाहता है। तो वह वक्ता उत्तम पुरुष कहलाएगा।
उत्तमपुरुष का उदहारण:
मै स्नान करने जा रहा हु। |
हमे कल दिल्ली जाने है। |
मै रोज सुबह टहलता हु। |
हमे कल मैच जितनी होगी। |
मेरा शहर बहुत बड़ा है। |
हमे मन नही करता कुछ करने का। |
मध्यमपुरुष
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वक्ता द्वारा कहे गए शब्द अगर कोई दूसरा सुनता है तो वह मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम कहा जाएगा। जैसे – ‘तू’, ‘तुम’, तथा ‘आप’ मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम होते हैं।
दूसरे शब्द में
जिस Sarvanam का प्रयोग वक्ता सुनने वाले व्यक्ति के लिए करता है, उसे मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम कहा जाता है।
मध्यम पुरूषवाचक सर्वनाम के उदाहरण:
आपके सहयोग के बिना मैं यह सब नहीं कर पता। |
तुम बहुत अच्छी आग्रेज़ी बोलती हो। |
आप बहुत सुंदर है। |
तुम्हारी आवाज मेरा दिल जीत लेता है। |
तूम महान हो। |
अन्यपुरुष:
जिस सर्वनाम शब्दों का प्रयोग वक्ता या बोलने किसी तीसरे व्यक्ति के बारे में बताने के लिए करता है। तो वह अनयपुरुष कहलाता है। जैसे: यह, वह, ये, वे, आदि।
यह किताब उसकी है। |
वह कल अमेरिका जाएगा। |
इन्हें बाहर का रास्ता दिखादो। |
मैंने उसे कहा था कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए। |
ये एक दिन बहुत बड़ा आदमी बनेगा। |
वे सब अच्छे लोग नही है। |
वह फुटबॉल बहुत अच्छा खेलता है। |
उसका सपना एक दिन पूरा होगा। |
निजवाचक सर्वनाम
जिस शब्द से वक्त आपने आप पर कार्य करता है तो उसे निजवाचक सर्वनाम समझते है।
दूसरे शब्दों में
निजवाचक सर्वनाम का रूप आप है। लेकिन, पुरुषवाचक के अन्यपुरुषवाले ‘आप’ से इसका प्रयोग बिलकुल अलग है। यह कर्ता का बोधक है, पर स्वयं कर्ता का काम नहीं करता। पुरुषवाचक ‘आप’ बहुवचन में आदर के लिए प्रयुक्त होता है। जैसे
आप मेरे सिर-आँखों पर हैं। |
आप क्या राय देते हैं? |
किंतु, निजवाचक ‘आप‘ एक ही तरह दोनों वचनों में आता है और तीनों पुरुषों में इसका प्रयोग किया जा सकता है। निजवाचक सर्वनाम ‘आप‘ का प्रयोग निम्नलिखित अर्थों में होता है–
1. निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग किसी संज्ञा या सर्वनाम के अवधारण (निश्चय) के लिए होता है। जैसे-
मैं आप वहीं से आया हूँ |
मैं आप वही कार्य कर रहे थे। |
2. निजवाचक ‘आप’ का प्रयोग दूसरे व्यक्ति के निराकरण के लिए भी होता है। जैसे—
उन्होंने मुझे रहने को कहा और आप चलते बने; |
वह औरों को नहीं, अपने को सुधार रहा है। |
3. सर्वसाधारण के अर्थ में भी ‘आप’ का प्रयोग होता है। जैसे-
आप भला तो जग भला। |
अपने से बड़ों का आदर करना उचित है। |
4. अवधारण के अर्थ में कभी-कभी ‘आप’ के साथ ‘ही’ जोड़ा जाता है। जैसे—
मैं आप ही चला आता था। |
मैं वह काम आप ही कर लूँगा। |
निश्चयवाचक सर्वनाम
जिस सर्वनाम से वक्ता के पास या दूर की किसी वस्तु के निश्चय का बोध होता है, उसे ‘निश्चयवाचक सर्वनाम’ कहते हैं।
दूसरे शब्दों में
जिस सर्वनाम शब्द किसी निश्चित व्यक्ति, वस्तु तथा स्थान का बोध हो, उसे निश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं। वह, वे, यह, ये आदि। उदाहरणार्थ – पास की वस्तु के लिए—यह कोई नया काम नहीं है; दूर की वस्तु के लिए-रोटी मत खाओ, क्योंकि वह जली है।
निश्चयवाचक सर्वनाम का अन्य उदहारण
यह क्या कर रहे हो। |
यह मेरा कम है। |
वह अंजलि का खिलौना है। |
वह कार तुम्हारी है। |
वे मिठाईया है। |
इसे भी पढ़े,
अनिश्चयवाचक सर्वनाम
जिस सर्वनाम से किसी निश्चित वस्तु का बोध न हो, उसे ‘अनिश्चयवाचक’ कहते हैं।
दूसरे शब्दों में
जिस सर्वनाम शब्द से किसी व्यक्ति, वस्तु तथा स्थान आदि के द्वारा निश्चितता का बोध न होता हो, उसे अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते है। जैसे—कोई, कुछ।
उदाहरणार्थ – कोई – ऐसा न हो कि कोई
कुछ – उसने कुछ नहीं खाया।
अनिश्चयवाचक सर्वनाम का अन्य उदहारण
उससे मुझे कुछ कहना है। |
कोई तुम्हे खोज रहा था। |
असमान में कुछ चमक रही है। |
मुझे बाज़र से कुछ चीजें लाना है। |
मैं कुछ लाया हूं तुम्हारे लिए। |
मुझे तुम से कुछ कहना है। |
कल तुम मुझसे कुछ कहने वाले थे। |
ऐसा न हो कि तुहमे कोई पीट दे। |
संबंधवाचक सर्वनाम
जिस सर्वनाम से वाक्य में किसी दूसरे सर्वनाम से संबंध स्थापित किया जाए, उसे ‘संबंधवाचक सर्वनाम’ कहते हैं। जैसे-जो, सो।
दूसरे शब्दों मे
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग किसी व्यक्ति या वस्तु का सम्बन्ध बताने के लिए किया जाए, उसे “संबंधवाचकवाचक सर्वनाम” कहलाते हैं। जैसे-जो, सो।
संबंधवाचक सर्वनाम जो शब्दो को जोड़ता है वह शब्द इस प्रकार है जैसे– जैसे-जिसका, जो कि, जो-सो, जितना -उतना आदि।
संबंधवाचक सर्वनाम का उदहारण
वह कौन है, जो पड़ा रो रहा है। |
वह जो न करे, सो थोड़ा। |
जिसकी लाठी उसकी भैंस। |
जिसका काम उसका नाम। |
जो आज आएगा, सो इनाम पावेगा। |
जो मेहनत करेगा, सो सफल होगा। |
जो कर्म करेगा, सो फल पावेगा। |
जो कर भला, तो सो हो भला। |
प्रश्नवाचक सर्वनाम
प्रश्न करने के लिए जिन सर्वनामों का प्रयोग होता है, उन्हें ‘प्रश्नवाचक सर्वनाम’ कहते हैं; जैसे- -कौन, क्या।
दूसरे शब्दों में
जिन सर्वनाम शब्दों का प्रयोग प्रश्न करने का बोध हो, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं। जैसे – कौन, क्या, कहॉ, यहाँ, वहाँ, कैसे, क्यो, आदि।
प्रश्नवाचक सर्वनाम का अन्य उदहारण
तुम क्या खा रहे हो? |
तुम आजकल क्या कर रहे हो ? |
वह कौन है ? |
वह लड़का यहाँ क्या कर रहा है ? |
तुम कहाँ जा रहे हो। |
कैसे हो मेरे दोस्त। |
तुम क्यों मरना चाहते हो। |
तुम बाजार से मेरे लिए क्या लाये हो? |
और बताओ क्या चल रहा है। |
तुम बाजार से कब आये। |
Note: ध्यान रखना चाहिए कि ‘कौन’ का प्रयोग चेतन जीवों के लिए और ‘क्या’ का प्रयोग जड़ पदार्थों के लिए होता है।
संयुक्त सर्वनाम
संयुक्त सर्वनाम’ पृथक् श्रेणी के सर्वनाम हैं। Sarvanam in Hindi के सब भेदों से इनकी भिन्नता इसलिए है, क्योंकि उनमें एक शब्द नहीं, बल्कि एक से अधिक शब्द होते हैं। संयुक्त सर्वनाम स्वतंत्र रूप से या संज्ञा-शब्दों के साथ ही प्रयुक्त होता है।
कुछ उदाहरण इस प्रकार हैं:
जो कोई, |
सब कुछ |
कोई और |
और कुछ |
जो कुछ |
कोई–न–कोई, |
कुछ–न–कुछ |
कोई भी |
कुछ भी |
कुछ एक |
सब कोई |
और कोई |
हर कोई |
कोई एक |
कुछ और |
एक कोई |
कोई–कोई |
कुछ–कुछ |
सर्वनाम के रूपांतर ( लिंग, वचन और कारक )
सर्वनाम का रूपांतर पुरुष, वचन और कारक की दृष्टि से होता है। इनमें लिंगभेद के कारण रूपांतर नहीं होता। जैसे-
वह खाता है। |
वह खाती है। |
संज्ञाओं के समान Sarvanam के भी दो वचन होते हैं-एकवचन और बहुवचन। पुरुषवाचक और निश्चयवाचक सर्वनाम को छोड़ शेष सर्वनाम विभक्तिरहित बहुवचन में एकवचन के समान रहते हैं।
अवश्य पढ़े,
सर्वनाम में केवल सात कारक होते हैं। संबोधन कारक नहीं होता।
कारकों की विभक्तियाँ लगने से सर्वनामों के रूप में विकृति आ जाती है; जैसे–
मैं— मुझको, मुझे, मुझसे, मेरा;
तुम– तुम्हें, तुम्हारा;
हम—हमें, हमारा
वह— उसने,उसको, उसे, उससे, उसमें, उन्होंने, उनको;
यह — इसने, इसे, इससे, इन्होंने इनको, इन्हें, इनसे; कौन—किसने, किसको, किसे।
सर्वनाम की कारक-रचना (रूप-रचना)
मैं (उत्तमपुरुष)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | मैं, मैंने | हम, हमने |
कर्म | मुझे, मुझको | हमें, हमको |
करण | मुझसे | हमसे |
संप्रदान | मुझे, मेरे लिए | हमें, हमारे लिए |
अपादान | मुझसे | हमसे |
संबंध | मेरा, मेरे, मेरी | हमारा, हमारे, हमारी |
अधिकरण | मुझमें, मुझपर | हममें, हमपर |
तू (मध्यमपुरुष)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | तू, तूने | तुम, तुमने, तुमलोगों ने |
कर्म | तुझको, तुझे | तुम्हें, तुमलोगों को |
करण | तुझसे, तेरे द्वारा | तुमसे, तुम्हारे से, ‘तुमलोगों से |
संप्रदान | तुझको, तेरे लिए, तुझे | तुम्हें, तुम्हारे लिए, तुमलोगों के लिए |
अपादान | तुझसे | तुमसे, तुमलोगों से |
संबंध | तेरा, तेरी, तेरे | तुम्हारा-री, तुमलोगों का-की |
अधिकरण | तुझमें, तुझपर | तुममें, तुमलोगों में-पर |
वह (अन्यपुरुष)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | वह,उसने | वे, उन्होंने |
कर्म | उसे, उसको | उन्हें, उनको |
करण | उससे, उसके द्वारा | उनसे, उनके द्वारा |
संप्रदान | उसको, उसे, उसके लिए | उनको, उन्हें, उनके लिए |
अपादान | उससे | उनसे |
संबंध | उसका, उसकी, उसके | उनका, उनकी, उनके |
अधिकरण | उसमें,उसपर | उनमें, उनपर |
आप (आदरसूचक)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | आपने | आपलोगों ने |
कर्म | आपको | आपलोगों को |
करण | आपसे | आपलोगों से |
संप्रदान | आपको, के लिए | आपलोगों को, के लिए |
अपादान | आपसे | आपलोगों से |
संबंध | आपका, की, के | आपलोगों का, की, के |
अधिकरण | आपमें, पर | आपलोगों में, पर |
यह (निकटवर्ती)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | यह, इसने | ये, इन्होंने |
कर्म | इसको, इसे | ये, इनको, इन्हें |
करण | इससे | इनसे |
संप्रदान | इसे, इसको | इन्हें, इनको |
अपादान | इससे | इनसे |
संबंध | इसका, की, के | इनका, की, के |
अधिकरण | इसमें, इसपर | इनमें, इनपर |
कोई (अनिश्चयवाचक)
कारक | एकवचन | बहुवचन |
कर्ता | कोई, किसने | किन्हीं ने |
कर्म | किसी को | किन्हीं को |
करण | किसी से | किन्हीं से |
संप्रदान | किसी को, किसी के लिए | किन्हीं को, किन्हीं के लिए |
अपादान | किसी से | किन्हीं से |
संबंध | किसी का, किसी की, किसी के | किन्हीं का, किन्हीं की, किन्हीं के |
अधिकरण | किसी में, किसी पर | किन्हीं में, किन्हीं पर |
सर्वनाम के उदाहरण
मैं — मैं आपलोगों के साथ हु.
आप — आपकी इस कृपा के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद.
तू — तू प्रियंका का भाई है.
यह — यह कलम मुखे सबसे प्यारी है.
वह — वह कौन है?
कौन — दरवाजे पर कौन है?
क्या — क्या आप मेरी सहायता करेंगे?
कोई — कोई उसकी मदद करों.
कुछ — कुछ तो है, जो मुझसे छुपाया जा रहा है.
जो — जो भी मेरे पास है, वह सब तेरा है.
सो — जो करेगा सो भरेगा.
पूछे जाने वला समान्य FAQs
Q. सर्वनाम के कितने भेद होते हैं?
हिंदी में सर्वनाम के 6 भेद होते है:
- पुरुषवाचक सर्वनाम
- निश्चयवाचक सर्वनाम
- अनिश्चयवाचक सर्वनाम
- प्रश्नवाचक सर्वनाम
- संबंधवाचक सर्वनाम
- निजवाचक सर्वनाम
Q. सर्वनाम क्या है उदाहरण लिखिए?
संज्ञा के स्थान पर (बदले में) प्रयुक्त होने वाले शब्दों को सर्वनाम कहते हैं। जैसे; मैं, तुम, तुमलोग, हम, वह, आप, उसका, उसकी आदि
Q. सर्वनाम के कितने भेद हैं प्रत्येक के दो दो उदाहरण दीजिए?
हिंदी व्याकरण में सर्वनाम के 6 भेद है, जिसका नाम और उदाहरण इस प्रकार है:
- पुरूषवाचक – मैं, तू, वह, मैंने
- निजवाचक – आप
- निश्चयवाचक – यह, वह
- अनिश्चयवाचक – कोई, कुछ
- संबंधवाचक – जो, सो
- प्रश्नवाचक – कौन, क्या
Q. प्रश्नवाचक सर्वनाम कौन कौन है?
जिन सर्वनाम के शब्दों का प्रयोग से प्रश्न का बोध होता है, जैसे – कौन, क्या, कहॉ, यहाँ, वहाँ, कैसे, क्यो, आदि को प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं.
उम्मीद है कि आपको सर्वनाम के भेद, परिभाषा, नियम और उदाहरण पसंद आया होगा. यदि कोई संदेह हो, तो कृपया हमें कमेंट अवश्य करे.