गणितीय सांख्यिकी का उदेश्य विज्ञान के उन तथ्यों से है जहाँ आंकड़ों का संग्रह, गणना, स्पष्टीकरण आदि क्रियाएँ होती है. Sankhyiki के अंतर्गत सरणी को इस प्रकार व्यस्थित किया जाता है ताकि सरणी की विशेषता, महत्व आदि जैसे कार्यों को और अधिक स्पस्ट किया जा सके. यह अनुमान के साथ-साथ एक स्पस्ट गणना को भी अंजाम देती है.
ऐसे तथ्यों की अवधारणा क्लास 6th से लेकर क्लास 12th तक बताई जाती है. जो एग्जाम के दृष्टिकोण से अहम् है. सांख्यिकी का प्रयोग डेटा के संग्रह के संग्रहण अथवा वर्णन के लिए किया जा सकता है, जो वर्णात्मक सांख्यिकी कहलाता है. गणितीय Sankhyiki अनेक विषयों से सम्बन्ध रखती है जो सरणी के अलग-अलग रूपों का अध्ययन करने के लिए उपयोग किया जाता है.
सांख्यिकी क्या है?
गणित की वह शाखा, जिसमे आँकड़ों के संग्रह प्रस्तुतीकरण और विश्लेषण पर आँकड़े से अर्थ पूर्ण निष्कर्ष नकालने के सम्बन्ध में अध्ययन किया जाता है, उसे सांख्यिकी किया जाता है.
दुसरें शब्दों में, Sankhyiki गणिती की वह विज्ञान है जिसमें किसी वस्तु, अवयव या समुदाय से सम्बन्धित आकड़ों का संग्रह, विश्लेषण, व्याख्या या स्पष्टीकरण और प्रस्तुति विशेष अर्थो में की जाती है. उसे सांख्यिकी कहते है.
इसे अंग्रेजी में Statistics कहा जाता है. इसका उद्गम लैटिन शब्द “Status” से हुआ है जिसका शाब्दिक अर्थ एक राजनितिक राज्य है.
त्रिज्यखंड एवं वृत्तखंड फार्मूला | क्षेत्रमिति फार्मूला |
गोला एवं अर्द्ध गोला फार्मूला | समानान्तर चतुर्भुज का क्षेत्रफल |
समान्तर श्रेढ़ी फार्मूला | बेलन का क्षेत्रफल |
रैखिक समीकरण | शंकु का क्षेत्रफल |
सांख्यिकी के प्रकार
सांख्यिकी को निम्नलिखित आधारों पर वर्गीकृत किया गया है सांख्यिकी मूलभूत मान्यताओं के आधार पर दो प्रकार की होती है. जो इस प्रकार है.
- प्राचलिक सांख्यिकी
- अप्राचलिक सांख्यिकी
प्राचलिक सांख्यिकी
प्राचलिक सांख्यिकी आँकड़ों के आधार पर प्राचल के सम्बन्ध में अनुमान लगाया जाता है. जिसे आंकड़ों का विश्लेषण किया जाता है, की यादृच्छिकता तथा प्रसरण की सममिति का प्रयोग मान्य माना जाता है. इस प्रकार सांख्यिकी में, मानक त्रुटि, टी-टेस्ट, एनोवा और संबंधित सांख्यिकीय विधियों द्वारा आंकड़ों की सार्थकता का अध्ययन किया जाता है.
अप्राचलिक सांख्यिकी
अप्राचलिक सांख्यिकी में कुछ आंकड़े ऐसे भी हैं जहां न तो संयोगिक चयन होता है. इन आंकड़ों की एक विशेषता यह है कि वे जनसंख्या के मापदंडों से संबंधित नहीं हैं एसे सांख्यिकीय विधियां अप्राचल सांख्यिकी की श्रेणी में आते हैं. इन्हें वितरण-मुक्त सांख्यिकी भी कहा जाता है.
सांख्यिकी से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
गणितीय गणना करने में उयोग की जाने वाली तथ्यों को यहाँ विस्तार से दर्शाया गया है. जिसके मदद से फार्मूला का प्रयोग करना सरल और सटीक होता है. कई बार केवल इससे ही प्रश्न पूछे जाते है. इसलिए, इसका अध्ययन आवश्यक है.
आँकड़ा ( Data )
किसी विशेष उदेश्य से एकत्रित किए गए तथ्य या अंक, जो संख्यात्मक या अन्य रूप में हो, आँकड़ा कहलाता है. इसे अंग्रेजी में “Data” कहते है. यह लैटिन शब्द Datum से बना है.
प्राथमिक आँकड़ा
आँकड़ों का वह संग्रह, जीसकी सत्यता का उत्तरदायित्य प्रेक्षक पर होता है, प्राथमिक आँकड़ा कहलाता है.
गौण आँकड़ा
आँकड़ों का वह संग्रह, जिसकी सत्यता का उत्तरदायित्व प्रेक्षक पर नही होता है. उसे गौण आँकड़ा कहते है.
परिसर ( Range )
आँकड़ों के महत्तम मान और न्यूनतम मान के अंतर को परिसर कहते है.
परिसर = महत्तम मान – न्यूनतम मान
बारंबारता ( Frequency )
किसी वितरण में कोई पद जितने बार मौजूद होता है, उसे उस पद की बारंबारता कहते है. तथा किसी वर्ग-अंतराल में सम्मिलित आँकड़ों की संख्या को वर्ग-अंतराल की बारंबारता कहते है.
वर्ग-चिन्ह (Class Mark)
किसी वर्ग अंतराल का मध्य बिंदु अथवा उच्च सीमा और न्यूनतम सीमा के औसत को उस वर्ग का वर्ग-चिन्ह कहते है.
वर्ग-चिन्ह = (उच्चतम सीमा + न्यूनतम सीमा) / 2
वर्ग अंतराल ( Class-Interval)
दो क्रमागत वर्ग-चिन्हों के अंतर को वर्ग-अंतराल कहते है. इसे वर्ग विस्तार भी कहा जाता है.
मिलान चिन्ह (Tally Mark)
किसी चर या वर्ग विशेष की बारंबारता को सूचित करने के लिए जिस चिन्ह का उपयोग किया जाता है, वह मिलान चिन्ह कहलाता है. जैसे; बारंबारता
- 1 — |
- 2 — ||
- 3 — |||
- 4 — |||| आदि.
सांख्यिकी फार्मूला
आँकड़ों के केन्द्रीय प्रवृति के आधार सांख्यिकी को मुख्यतः तीन भागों में विभाजित किया गया है. जो इसे अलग-अलग मानों के रूप में व्यक्त करते है. जिससे गणितीय आंकड़ों को संख्यात्मक रूप में हल करने में सहायता मिलती है.
- माध्य ( Mean )
- मध्यिका ( Median )
- बहुलक ( Mode )
समान्तर माध्य
आँकड़ों का कुल योग और आँकड़ों की कुल संख्या के अनुपात को समान्तर माध्य कहते है. इसे (x¯) से सूचित किया जाता है.
फार्मूला = अवलोकन का कुल योग / अवलोकन की कुल संख्या
मध्यिका ( Median )
अवर्गीकृत आँकड़ों के आरोहीक्रम या अवरोहीक्रम में सजाने पर ठीक बीचवाला आँकड़ा मध्यिका कहलाता है.
मध्यिका फार्मूला = (l + n/2 – CF) / f × h
जहाँ
l = मध्यक वर्ग की निम्नसीमा
n = प्रेक्षकों की संख्या
CF = मध्यक वर्ग से ठीक पहले वाले वर्ग की संचयी बारंबारता
f = मध्यक वर्ग की बारंबारता
h = वर्गमाप
बहुलक ( Mode )
यदि आँकड़ा आवर्तीकृत हो, तो जिस पद की बारंबारता सर्वाधिक हो, वह बटन का बहुलक कहलाता है.
बहुलक फार्मूला = l + {(fm – fm-1) / 2 fm – fm-1 – fm+1 } × h
जहाँ
l = बहुलक वाले वर्ग की नीचली सीमा है.
fm-1 = बहुलक वर्ग से पहले वाले वर्ग की आवृति है.
और fm = बहुलक वाले वर्ग की आवृति है.
fm+1 = बहुलक वर्ग से अगले वर्ग की आवृति है.
h = बहुलक वर्ग के अंतराल का अंतर है.
महत्वपूर्ण गणितीय फार्मूला
चक्रीय चतुर्भुज का फार्मूला | क्लास 10th त्रिकोणमितिय फार्मूला |
त्रिकोणमिति परिचय | समबाहु त्रिभुज का फार्मूला |
जन्म मरण सांख्यिकी (Vital Statistics)
विवाह, जन्म, बीमारी, मृत्यु आदि का संख्यात्मक अभिलेख जन्म-मरण Sankhyiki कहलाता है. जनसँख्या वृद्धि के संवेक्षण में इसे तीन भागों में विभाजित किया गया है.
- जनन अथवा जन्म
- मरण (ऋणात्मक घटक)
- प्रवासन
अशोधित जन्म-दर
प्रति 1000 की जनसँख्या पर जन्में बच्चों की संख्या को अशोधित जन्म-दर कहा जाता है. इसे ज्ञात करने के लिए निम्न फार्मूला का प्रयोग किया जाता है.
अशोधित जन्म-दर = दिए गए वर्ष में जन्में बच्चों की संख्या / उस वर्ष की जनसँख्या × 1000
अशोधित मृत्यु दर
प्रति 1000 की जनसँख्या पर मृतकों की संख्या को अशोधित मृत्यु दर कहा जाता है. निम्न फार्मूला का प्रयोग कर इसे ज्ञात किया जा सकता है.
फार्मूला = दिए गए वर्ष में मृतकों की संख्या / उस वर्ष के बिच में जनसँख्या × 1000
सांख्यिकी की सीमाएं
- सांख्यिकी का उपयोग केवल उन्ही अध्ययनों में किया जाता है जिनमें तथ्यों को संख्याओं के रूप में स्पष्ट करना सम्भव होता है.
- सांख्यिकी के आधार पर प्राप्त निष्कर्ष की विश्वसनीयता बहुत अधिक नहीं होती है.
- सांख्यिकी का प्रयोग केवल अध्ययन के लिए किया जा सकता है.
- सांख्यिकी आधार पर तथ्यों के संकलन, सारणीयन, विष्लेशण तथा विवेचना का उचित ज्ञान होना जरूरी है.
समान्य प्रश्न FAQ
1. सांख्यिकी किसे कहते हैं?
उत्तर:- सारणी के संख्यात्मक तथ्यों को क्रमबद्ध तरीके से सजाने की प्रक्रिया को सांख्यिकी कहा जाता है. इस प्रक्रिया के माध्यम से सरणी का विश्लेषण तथा निर्वाचन सरलता से किया जा सकता है.
2. सांख्यिकी से क्या तात्पर्य है?
उत्तर:- सांख्यिकी गणितीय विज्ञान का वह शाखा है जिसमे आँकड़ों का संग्रहण, प्रदर्शन, वर्गीकरण और गुणों का आकलन का अध्ययन एक विशेष नियम के अनुसार किया जाता है. वह सांख्यिकी कहलाता है.
3. सांख्यिकी की सीमाएं क्या है?
उत्तर:- सांख्यिकी का प्रयोग केवल और केवल उन्ही अध्ययनों के लिए किया जा सकता है जहाँ तथ्यों को संख्यात्मक रूप में स्पष्ट करना सम्भव हो. जैसे, जनसँख्या दर, आयु दर आदि.
4. सांख्यिकी शब्द के जन्मदाता कौन है?
उत्तर:- सर रोनाल्ड फिशर को Sankhyiki की जनक माना जाता है. क्योंकि सन 1890-1962 तक एक ब्रिटिश सांख्यिकीविद् और जीवविज्ञानी थे.
महत्वपूर्ण सूत्र