प्रायिकता के सूत्र का उपयोग किसी घटना के घटित होने की संभावना की गणना करने के लिए किया जाता है. जिसमे घटनाएँ भिन्न-भिन्न होती है. जैसे, सांख्यिकी, गणित, विज्ञान, दर्शनशास्त्र आदि जैसे क्षेत्रों में संभावना व्यक्त करने के लिए Prayikta का प्रयोग अधिक मात्रा में किया जाता है.
हालांकि, Prayikta का सम्बन्ध संभावना से है जो दर्शाता है कि घटित होने वाली घटना की स्थति क्या हो सकती है. यह गणित की वह शाखा है जो एक यादृच्छिक घटना, पूर्ण घटना से संबंधित है.
यह टॉपिक क्लास 10 और क्लास 12th के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है क्योंकि इससे एग्जाम में लगभग 20 % तक प्रश्न प्रत्येक वर्ष पूछे जाते है. अतः Prayikta Formula के साथ-साथ परिभाषा भी स्मरण रखना अनिवार्य है.
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प्रायिकता किसे कहते है?
गणित की वह शाखा, जिसमे घटनाओं के घटित होने की संभावनाओं का संख्यात्मक अध्ययन किया जाता है, वह प्रायिकता कहलाता है. प्रायिकता सिद्धांत के विकाश में निम्नलिखित गणितज्ञों का योगदान रहा है.
- जैकाब बरनौली (1654 – 1705)
- डी मायवर ( 1667 – 1754 )
- लाप्लस ( 1749 – 1827 )
- प्वासो ( 1781 – 1840 )
- ए. कॉलमोगोरोव ( 1703 – 1987 )
इस सिद्धांत का जन्म जुआ के खेल से हुआ. इसका प्रयोग इन्गिनीरिंग के विभिन्न क्षेत्रों; जैसे – समुंद्री रास्तें में जहाजों का बर्ताव में होता है.
यादृच्छिक प्रयोग (Random Experiment)
वैसा प्रयोग, जिसके परिणाम किसी नियम का पालन न करे, वह यादृच्छिक प्रयोग कहलाता है. जैसे;
किसी पासे को फेकना एक यादृच्छिक प्रयोग है, क्योंकि इसपर 6 फलक होते है, जिस पर क्रमशः 1, 2, 3, 4, 5, 6 अंकित रहते है. इसे फेकने पर कौन सी संख्या आएगा, इसकी कोई निश्चिता नही है. उसी प्रकार थैले में रखे विभिन्न रंगों की गोलियों में से एक गोली निकलना यादृच्छिक प्रयोग है.
प्रायिकता समष्टि – Probability Space
किसी यादृच्छिक प्रयोग से प्राप्त सभी संभव परिणाम को Prayikta समष्टि कहते है. इसे प्रतिदर्श समष्टि भी कहा जाता है. इसे प्रायः S से व्यक्त किया जाता है. जैसे;
पासे को फेंकने से बना प्रायिकता समष्टि = {1, 2, 3, 4, 5, 6}
सिक्के को उछालने से बनी प्रतिदर्श समष्टि = { H, T}
2 सिक्के को उछालने से बनी प्रतिदर्श समष्टि = {HH, HT, TH, TT}
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प्रायिकता की अवधारणा | प्रोबेबिलिटी थ्योरी इन हिंदी
घटना बिंदु ( Event Point ): प्रतिदर्श समष्टि के प्रत्येक अवयव घटना बिंदु कहलाता है. जैसे;
S = {1, 2, 3, 4, 5, 6}, इसमें 1, 2, 3, 4, 5, और 6 घटना बिंदु है.
विविक्त प्रतिदर्श समष्टि: जिस प्रतिदर्श समष्टि का घटना बिंदु परिमित हो, विविक्त प्रतिदर्श समष्टि कहलाता है.
घटना( Event ): प्रतिदर्श समष्टि के प्रत्येक उपसमुच्चय को घटना कहते है. इसे प्रायः E से व्यक्त किया जाता है. जैसे;
- एक सिक्के की उछाल में S {H, T}
- यदि Head आने की घटना E हो, तो E = {H} ⊆ S
- यदि S प्रतिदर्श समष्टि हो, तो किसी घटना E की प्रायिकता P(E) = n(E)/n(S)
- जहाँ n(E) = समुच्चय E के अवयवों की संख्या
- n(E) = प्रतिदर्श समष्टि S के अवयवों की संख्या
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सरल घटना (Elementary Event): प्रतिदर्श समष्टि का वह उपसमुच्चय, जिसमे केवल एक अवयव हो, वह सरल घटना कहलाता है.
असंभव घटना (Impossible Event): वैसी घटना जिसमे एक भी अवयव नही हो, वह असंभव घटना कहलाता है.
जैसे; पासे फेंककर H प्राप्त करने की घटना, एक असंभव घटना है. इसे Φ से व्यक्त किया जाता है.
घटना के सम्बन्ध में प्रयकिता की नियम
1. गिनती का योग नियम
यदि E एक घटना है जो घटना E1 या E2 में से किसी एक के घटने से घटित होती हैं, तो
n(E) = n(E1) + n(E2) को गिनती का योग नियम कहते है.
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2. गिनती का गुणन नियम
यदि E एक घटना है, जो घटना E1 एवं E2 दोनों के एक साथ घटने से घटती हैं, तो
n(E) = n(E1) × n(E2)
3. क्रमचय
यदि E कोई घटनाहै यह तभी घटित होती है, जब n विभिन्न वस्तुओं में r वस्तुएं सजाई जाती हैं.
n(E) = nPr = n!/(n – r)!
4. संचय
घटना E तभी घटित होती हैं, जब n विभिन्न वस्तुओं में से r वस्तुएं चुनी जाती हैं।
n(E) = nCr = n!/r!( n – r)!
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5. प्रायिकता का सूत्र
यदि E = घटना और S प्रतिदर्श समष्टि, तो
P (E) = n(E)/n(S)
अर्थात, प्रायिकता = संभावित परिणामों की संख्या / कुल परिणामों की संख्या
जहाँ n(E) = E के अवयवों की संख्या और n(S) प्रतिदर्श समष्टि के अवयवों की संख्या है.
ताश से सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- ताश की एक गद्दी में कुल पत्तों की संख्या 52 होती हैं.
- एक गद्दी में 26 लाल और 26 काले रंग के पत्ते होते हैं.
- 26 लाल रंग के पत्तों में 13 लाल पान और 13 ईंट के पत्ते होते हैं.
- 26 काले रंग के पत्तों में 13 काला पान और 13 चिड़िया के पत्ते होते हैं.
- ताश की गद्दी में कुल चार इक्के, प्रकार चार बादशाह, चार बेगम एवं चार गुलाम होते हैं.
- एक गद्दी में कुछ फेस कार्ड की संख्या 12 होती है.
प्रायिकता फार्मूला
1. P(A) + P(A’) = 1, जहाँ A कोई घटना हैं तथा A’ इसकी पूरक घटना हैं.
2. घटना के अनुकूल संयोगानुपात E = P(E) : P(E’)
3. घटना के प्रतिकूल संयोगानुपात E = P(E’) : P(E)
4. यदि घटना के अनुकूल संयोगानुपात = a : b
तो P(E) = a/(a +b)
5. यदि घटना E का प्रतिकूल संयोगानुपात = a : b
तो P(E) = b/(a + b)
6. P(E) + P(E’) = 1
7. यदि किसी प्रतिदर्श समष्टि S में A, B तथा C तीन घटनाएं हो, तो
P(A∪B∪C) = P(A) + P(B) + P(C) – P(A∩B) – P(B∩C) – (A∩C) + P(A∩B∩C)
Prayikta प्रतियोगिता एग्जाम के लिए सर्वाधिक महत्वपूर्ण होता है. एग्जाम फार्मूला एवं ट्रिक्स का उपयोग करना बहुत आवश्यक होता है. इसलिए, यहाँ Prayikta सम्बंधित सभी आवश्यक फार्मूला का विवरण दिया गया है जो सरलता से प्रश्न हल करने में मदद करता है.
पूछे जाने वला सामन्य प्रश्न FAQs
प्रयिकता तिन नियम इस प्रकार है
योग नियम, गुणन नियम और पूरक नियम
किसी घटना के घटित होने की कुल संभावना उसे की प्रायिकता घटक कहा जाता है. जैसे हवा में उछाला गया सिक्का का परिणाम हेड और टेल होते हैं. इसमें कोई एक ही आ सकता है.