हिंदी भाषा का सबसे महतवपूर्ण टॉपिक “काल” है. क्योंकि, इससे अकादमिक और विभिन्न प्रतियोगिता एग्जाम में प्रश्न पूछा जाता है. इसके साथ व्यक्तिगत जीवन में भी इसका प्रयोग वाक्यों को शुद्ध करने के लिए किया जाता है. Kaal in Hindi Grammar में वाक्य को जोङने के लिए सहायक क्रिया के साथ संशोधित किया जाता है, जिसका अध्ययन “काल” के अंतर्गत किया जाता है.
क्रिया के रूप में परिवर्तन काल के अनुसार होता है. अर्थात, क्रिया को कर्ता संज्ञा या लिंग के अनुसार संचालन किया जाता है लेकिन मुख्य क्रिया टेंस के अनुसार परिवर्तित होती है. यहाँ Kaal in Hindi Grammar के रुल, परिभाषा और उदाहरण का अध्ययन करेंगे जो काल को अच्छे से परिभाषित करता है.
काल की परिभाषा | Kaal in Vyakaran
क्रिया के जिस रूप से समय का बोध हो, उसे काल कहते है.
दुसरें शब्दों में, काल किसे कहते है?
क्रिया के उस रूपांतर को ‘काल’ कहते है, जिससे किसी कार्य का समय और उसकी पूर्ण अथवा अपूर्ण अवस्था का बोध हो, उसे काल कहते है.
Note: काल एक प्रकार का समय है. अर्थात, यूँ कह सकते है कि समय ही काल है.जैसे
उदहारण
अनुष्का सिलाई-कढ़ाई सीखती है। |
अनुष्का ने बी० ए० तक पढ़ाई की। |
अनुष्का एम० ए० की पढ़ाई करने पटना जाएगी। |
मैंने खाना खाया था. |
मैं कल खाऊंगा. |
प्रथम वाक्य की क्रिया से उसकी अपूर्णता और ‘इस समय’ का बोध हो रहा है। दूसरे वाक्य की क्रिया से उसकी पूर्णता और ‘बीते समय’ का तथा तीसरे वाक्य की क्रिया से उसकी अपूर्णता एवं ‘आनेवाले समय’ का बोध हो रहा है। अतः ये सभी वाक्य काल है.
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काल के भेद
हिंदी व्याकरण में काल को तीन भेद में बांटा गया है. जो इस प्रकार है:
- वर्तमानकाल (इस समय का बोध करानेवाला)
- भूतकाल (बीते समय का बोध करानेवाला)
- भविष्यत् काल (आनेवाले समय का बोध करानेवाला)
1. वर्तमान काल
“जिस काल का आरंभ हो चुका हो पर समाप्ति नहीं हुई हो, उसे ‘वर्तमान काल’ कहते हैं। वर्तमान काल गुजर रहे समय में होनेवाले कार्यों के बारे में बताता है.
दुसरें शब्दों में,
वर्तमान समय में होनेवाली क्रिया से वर्तमान काल का होता है, उसे वर्तमान काल कहते है. जैसे;
दीपू परीक्षा की तैयारी कर रहा है। |
आज वर्षा हो रही है। |
वे आज भी रिसर्च कर रहे होंगे। |
वह खाता है। |
वह सदा बड़ों का कहना मानता है। |
वर्तमान काल के मुख्य रूप से पाँच भेद होते है:
- सामान्य वर्तमान
- तात्कालिक वर्तमान
- पूर्ण वर्तमान
- संदिग्ध वर्तमान
- संभाव्य वर्तमान
1. सामान्य वर्तमान
सामान्य वर्तमान से स्वभाव, आदत, चर्या, सामान्य जीवन क्रम अथवा घटना क्रम की अभिव्यक्ति होती है। तथा सामान्य वर्तमान की क्रिया ‘धातु’ में ता/ते/ती जोड़कर आवश्यकतानुसार है/हो/हूँ लगाकर बनाई जाती है। जैसे;
नियम:
- जा + ता/ ते / ती + है/ हैं / हो/ हूँ
- पढ़ + ता/ ते/ ती + है / हैं/ हो/ हूँ
उदहारण
वह तुझे देखता है। |
गाय मीठा दूध देती है। |
वह प्रतिदिन देर से घर लौटता है। |
यह बस स्कूल जाती है। |
मै रोज शाम को क्लब जाता हूँ। |
2. तात्कालिक वर्तमान
इस काल को ‘अपूर्ण वर्तमान’ भी कहा जाता है। इस काल की क्रिया जारी रहती है यानी इससे सातत्यता का बोध होता है। जब किसी धातु में रहा/ रहे/रही के बाद है/ हैं/ हो / हूँ जोड़ते हैं, तब तात्कालिक वर्तमान की क्रिया बन जाती है। जैसे;
नियम:
- जा + रहा/रहे/रही + है/हैं / हो / हूँ।
- खा + रहा / रहे / रही + है/है/हो / हूँ।
उदहारण
तुम चलो, मैं अभी आ रहा हु। |
मै कपड़ा पहन कर आ रहा हु। |
शर्मा जी तन-मन से भूगोल पढ़ा रहे है। |
तुम कहा जा रहे हो। |
कल तुमको यहाँ रहना है। |
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तात्कालिक वर्तमान का प्रयोग निम्नलिखित स्थितियों में होता है:
1. लगातार चलनेवाले कार्य-व्यापार का निर्देश करने के लिए। जैसे—
- पृथ्वी सूर्य की परिक्रमा कर रही है।
- समय का कुचक्र चल रहा है।
2. निकट भविष्य अथवा निश्चित भविष्य का निर्देश करने के लिए। जैसे-
- मैं अगले सोमवार को कोलकाता जा रहा हूँ।
- आप प्रतीक्षा कीजिए, वह अभी आ रहा है।
3. कथन के समय चल रहे कार्य-व्यापार का निर्देश करने के लिए। जैसे—
- वह इस समय रियाज कर रहा है, उसे परेशान मत कीजिए।
- दादीजी अभी नहा रही हैं, इसलिए वे अभी नहीं आ सकतीं।
4. किसी खास समय में चल रहे कार्य-व्यापार की अभिव्यक्ति के लिए । जैसे—
- मैं आजकल होम्योपैथिक दवा ले रहा हूँ।
- वह आजकल समाज-विज्ञान का अध्ययन कर रहा है।
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3. पूर्ण वर्तमान
इससे वर्तमानकाल में कार्य की पूर्ण सिद्धि का बोध होता है। जैसे-
वह आया है। |
लड़के ने पुस्तक पढ़ी है। |
वह गया है। |
सूर्य अस्त हो गया है। |
4. संदिग्ध वर्तमान
जिससे क्रिया के होने में संदेह प्रकट हो, पर उसकी वर्तमानता में संदेह न हो। उसे ‘संदिग्ध वर्तमान’ की काल कहते हैं।”इस काल की क्रिया की संरचना इस प्रकार होती है.
नियम:
धातु+ता/ते/ती/रहा/रहे/रही+होगा/होगे/होगी/होंगे/होंगी।
उदहारण–
राम खाता होगा |
शायद वह जाता होगा। |
वह पढ़ता होगा। |
बिहार में वर्षा होती होगी/हो रही होगी। |
अञ्जलि अपने पति को पत्र लिखती होगी/लिख रही होगी। |
5. संभाव्य वर्तमान
इससे वर्तमानकाल में काम के पूरा होने की संभावना रहती है। जैसे-
वह आया हो |
वह लौटा हो। |
क्या तुम आज आये हो। |
क्या दोपहर में ही सूर्य अस्त हो गया। |
2. भूतकाल
“क्रिया के जिस रूप से किसी बीते हुए समय में उसकी (क्रिया की) पूर्णता या अपूर्णता का बोध हो, ‘भूतकाल’ कहलाता है।”
दुसरें शब्दों में,
वैसा वाक्य जिससे बीते हुए समय का बोध हो, उसे भूतकाल कहतें है. जैसे;
मेरा बचपन बीत गया। |
लड़का आया था। |
प्रेमचंद ने ‘गोदान’ लिखा था । |
वह खा चुका था। |
तुम परीक्षा का तैयारी कर रहे थे। |
वह परीक्षा की तैयारी कर रहा था। |
भूतकाल के भेद:
- सामान्य भूत
- आसन्न भूत
- पूर्ण भूत
- अपूर्ण भूत
- संदिग्ध भूत
- हेतुहेतुमद् भूत
1. सामान्य भूत
जिससे भूतकाल की क्रिया के विशेष समय का ज्ञान न हो, इस काल मे क्रिया के बीते हुए समय मे हुईं, यह नही की काम को हुए अधिक देर हुई या थोड़ी देर पहले हुई का पता चले, उसे सामान्य भूत कहते है।
इस काल की क्रिया की सरचना इस तरह है:
- ‘धातु + आ/ए/ई’ अथवा धातु + ‘चुका/चुके/चुकी’ या ‘धातु + या/ये/यी, ।।
उदहारण
मोहन आया। |
सीता गयी। |
अर्जुन ने वह नजारा देखा। |
पाकिस्तान ने उस घटना को भूल चुका। |
चीन ने कोरिया पर बम गिराया। |
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2. आसन्न भूत
जिस क्रिया की समाप्ति निकट भूत में या तत्काल ही सूचित होती है, उसे आसन्न भूत कहते है।
इस काल की पूर्णवर्तमान के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि इसकी पूर्णता या समाप्ति वर्तमान के निकट में होती है। इस काल की क्रिया की संरचना के लिए सामान्य की संरचना में सिर्फ है/हैं/हो/हूँ लगाना पड़ता है। जैसे –
मैंने आम खाया है। |
में चला हु। |
पाकिस्तान ने उस घटना को भूल चुका है। |
चीन ने कोरिया पर बम गिराया है। |
अर्जुन ने वह नजारा देखा है। |
3. पूर्ण भूत
क्रिया के उस रूप को पूर्ण भूत कहते है, जिससे क्रिया की समाप्ति के समय का स्पष्ट बोध होता है की क्रिया को समाप्त हुए काफी समय हो गया है।
इस काल की क्रिया भी पूर्णताबोधक होती है। इसकी संरचना के लिए सामान्य की संरचना के बाद था/थे/थी जोड़ना पड़ता है। जैसे
उसने राम को मारा था। |
वह आया था। |
पाकिस्तान ने उस घटना को भूल चुका था। |
चीन ने कोरिया पर बम गिराया था। |
अर्जुन ने वह नजारा देखा था। |
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4. अपूर्ण भूत
इस काल से यह ज्ञात होता है कि क्रिया भूतकाल में हो रही थी, किंतु उसकी समाप्ति का पता नही चलता । उसे अपूर्ण भूत कहते है।
इसकी संरचना इस प्रकार है:
- धातु + रहा/रहे/रही + था/थे/थी
- या धातु + ता/ते/ती + था/थे/थी
उदहारण
अमित गीत गा रहा था। |
काजल सो रही थी। |
नैनीताल में मूसलधार वर्षा हो रही थी। |
सभी लोगो ने सूर्यग्रहण का नजारा देख रहे थे। |
उस समय मे बाजार जा रहा था। |
5. संदिग्ध भूत
इस काल मे यह संदेह बना रहता है कि भूतकाल में कार्य पूरा हुआ था या नही।
इसकी संरचना के लिए सामान्य भूत की संरचना के बाद होगा/होगे/होगी लगाना चाहिए।
उदहारण
तुमने गाया होगा। |
तू गाया होगा। |
पाकिस्तान ने उस घटना को भूल चुका होगा। |
चीन ने कोरिया पर बम गिराया होगा। |
अर्जुन ने वह नजारा देखा होगा। |
6. हेतुहेतुमद् भूत
इससे यह पता चलता है की क्रिया भूतकाल में होनेवाली थी, पर किसी कारण न हो सकी।
- अंशु इंजीनियर बन गई होती यदि पॉलीटेक्निक की परीक्षा पास हो जाती।
इस वाक्य में इंजीनियर न बनने का स्पष्ट हेतु है।पॉलीटेक्निक का पास न होना।
3. भविष्यतकाल
जिस क्रिया से आने वाले समय मे किसी कार्य के होने का बोध हो, उसे भविष्यतकाल काल कहते है।
दुसरें शब्दों में,
जिस वाक्य से किसी काम को भविष्य काल में होने का भाव व्यक्त हो, उसे भविष्यत काल कहते है. जैसे;
वह कल घर आएगा। |
मै प्रातः कालेज जाऊँगा। |
मैं सही समय पर कॉलेज पहुंच जाऊँगा। |
तुम काल पटना जाओगे। |
हा, मै काल पटना जाऊँगा। |
भविष्यतकाल काल के तीन भेद होते है:
- सामान्य भविष्य
- संभाव्य भविष्य
- हेतुहेतुमद् भविष्य
1. सामान्य भविष्य
इससे यह प्रकट होता है की क्रिया सामान्यतः भविष्य में होगा।
इस काल की क्रिया का रूप धातु + गा/गे/गी होता है: जैसे :–
मै प्रातः कॉलेज जाऊँगा। |
वह वायुयान से दिल्ली जाएगा। |
मोदीजी तीर्थयात्रा पर जाएगे। |
वह जाएगा। |
तुम आओगे। |
Note:
किसी निश्चित भावी क्रिया के लिए सामान्य भविष्यत का व्यवहार न होकर प्रायः सातत्य बोधक वर्तमान का प्रयोग होता है जैसे –
- वह कल शमवाली गाड़ी से पटना आ रहा है।
- मैं अगले वर्ष अमेरिका जा रहा हूँ।
किसी निश्चित भावी क्रिया की अभिव्यक्ति तो सातत्य वर्तमान में होती है; किन्तु जिन क्रियाओ का व्यपार दीर्घकाल में होनेवाला है, उनके लिए क्रिया का सामान्य भविष्यतवाला रूप ही व्यवहार में आता है। जैसे –
- मैं इस साल गर्मियों में गाँव मे ही रहुँगा।
- सुना है, तुम इस साल सिक्किम में ही रहोगे।
जिस प्रकार निश्चित भविष्य के लिए सातत्यबोधक वर्तमान का व्यवहार होता है, उसी प्रकार निकट भविष्य के लिए सामान्य वर्तमान का और कभी – कभी अधिक निकट भविष्य के लिए अनिश्चित भूतकालिक क्रियाओ का व्यवहार होता है। जैसे –
- आप इसी जगह रुकिए, मैं अभी आता हूँ।
- आप यही ठहरिए, मैं कपड़े बदलकर आता हूँ।
2. संभाव्य भविष्य
जिससे भविष्य में किसी कार्य के होने की संभावन हो, उसे संभाव्य भविष्य कहते है।
इस काल की क्रिया की संरचना इस प्रकार होती है। शायद/हो सकता है/ संभव है + कर्ता……+ धातु + ए।
उदहारण
संभव है, रमेश काल आया। |
शायद पिताजी आज बोलें। |
संभव है, इस साल के अंत तक परीक्षा हो जाए। |
शाम होने चली है, अब वह खेत से लैट रहा होगा। |
हो सकता है, कल वारिश हो जाए। |
3. हेतुहेतुमद् भविष्य
इसमें भी भूतकाल की तरह किसी क्रिया का भविष्य में होना या न होना किसी कारण की उपस्थिति पर निर्भर करता है।
उदहारण
वह आए तो मैं जाऊ। |
वह कमाए तो खाए। |
इतनी ठंडक रहे तो सारे जल-स्त्रोत ही बर्फ हो जाए। |
वह लगतार इतनी मेहनत करे तो विद्वान हो हो जाए। |
ये उनके सामने इतनी गालिया दे तो झगड़ा ही हो जाए। |
विडियो में सभी काल के भेद अंकित है जिसे निचे देख सकते है:
उम्मीद है Kaal in Hindi Vyakarn के सभी रूप एवं काल का भेद, परिभाषा एवं नियम समझ में आया होगा. यदि कोई संदेह हो, तो कृपया हमें कमेंट अवश्य करे.