हिंदी वर्णमाला: स्वर, व्यंजन, एवं वर्गीकरण – Varnmala in Hindi

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Hindi Varnamala: हिंदी भाषा विश्व की भाषाओं में से एक बोली जाने वाली सर्वाधिक वैज्ञानिक भाषा है, जिसे भारत की राष्ट्रभाषा और राजभाषा का दर्जा हासिल होने का गौरव प्राप्त है. अंग्रेजी वर्णमाला की तुलना में हिंदी अक्षर या हिंदी वर्णमाला सीखना काफी जटिल माना गया है. क्योंकि, Hindi Alphabets के वर्ण एवं मात्राओं को सरलता से याद करने में परिशानी होती है.

हिंदी वर्णमाला चार्ट या हिंदी वर्णमाला में प्रयुक्त प्रत्येक अक्षर की अपनी स्वतंत्र और विशिष्ट ध्वनि होती है. क्योंकि, वर्णों या अक्षरों का उच्चारण ठीक वैसे ही किया जाता है जैसे वे लिखे जाते हैं.

रचनाकारों के अनुसार विश्व की प्रत्येक भाषा (जैसे; अंग्रेजी, Japanese, फारसी, ग्रीक, लैटिन, रूसी, जर्मन आदि) की तरह ही हिंदी भाषा भी सबसे सुक्ष्म इकाई वर्ण होता है, जिसे इंग्लिश में letter कहा जाता है, इसे एक क्रमबद्ध और व्यवस्थित रूप में लिखा जाता है. क्रमबद्ध और व्यवस्थित रूप को ध्यान में रखते हुए विद्वानों के कथनानुसार हिंदी वर्णमाला को हिन्दी व्याकरण की आत्मा कहा गया है.

हिंदी वर्णमाला का परिभाषा

Hindi Varnmala किसे कहते है?: वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं.

अर्थात, हिंदी भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि होती है. इसी ध्वनि को ही वर्ण कहा जाता है. वर्णों को व्यवस्थित करने के समूह को वर्णमाला कहते हैं. अर्थात, हिंदी भाषा लिखने के लिए प्रयुक्त मानक प्रतीकों या चिन्हों, वर्णों के क्रमबद्ध समूह को वर्णमाला कहा जाता है.

दुसरे शब्दों में,

भाषा की अभिव्यक्ति ध्वनि के माध्यम से होती है. अर्थात अपने विचारों और भावनाओं को सामने वाले व्यक्ति तक पहुंचाने के लिए ध्वनि की आवश्यकता होती है. दूसरी तरफ अपने विचारों और भावनाओं को लिखने के लिए चिन्हों की आवश्यकता होती है.

इन्ही ध्वनि के इन्हीं चिन्हों को वर्ण कहते हैं और वर्णों के समूह को अक्षर तथा वर्णों के व्यवस्थित समूह को वर्णमाला कहते हैं. जैसे;

अंअः
ड.
क्षत्र, ज्ञ

वचन: परिभाषा, भेद, उदाहरण एवं नियम

हिंदी वर्णमाला में वर्णों या अक्षरों की संख्या

Hindi Varnmala में थोड़ी से मतभेद है. क्योंकि, व्याकरण के अनुसार वर्णों की संख्या कुछ अलग और मानक हिंदी वर्णमाला में वर्णों की संख्या कुछ अलग है.

जैसे; मानक हिंदी वर्णमाला में 44 वर्णों को आवश्यकता यानि शिक्षा के स्थिति के अनुसरूप शामिल किया गया है, जिसमें 11 स्वर और 33 व्यंजन हैं. कुछ उपवादो के अनुसार हिंदी वर्णमाला में 45 वर्ण होते है जिसमे 10 स्वर एवं 35 व्यंजन होते है.

लेकिन व्याकरण के अध्ययन के मुताबिक हिन्दी में उच्चारण के आधार पर 52 वर्ण होते हैं. जिसमे 11 स्वर और 41 व्यंजन होते हैं. और लेखन के आधार पर 56 वर्ण होते हैं जिसमे 11 स्वर, 41 व्यंजन तथा 4 संयुक्त व्यंजन होते हैं.

Note: इन वर्णों के संख्या के समूह में ज़, झ़, ड़, ढ़, फ़ आदि वर्ण शामिल होते है.

वर्णमाला के भेद

हिंदी व्याकरण में हिन्दी वर्णमाला को मुख्यतः दो भागो में विभक्त किया गया है, ताकि वर्णों के उच्चारण ध्वनि एवं इसके महत्व को सरलता से ज्ञात किया जा सके.

  1. स्वर (Swar )
  2.  व्यंजन (Vyanjan)

इन दोनों खंडो का अध्ययन निचे विस्तार से करेंगे.

Hindi Varnmala – Vowel (स्वर)

ऐसे वर्ण ,जिसका उच्चारण किसी दूसरे वर्ण की सहायता नहीं होती है. अर्थात, स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण, स्वर कहलाते है.

दुसरें शब्दों में,

हिंदी वर्णमाला में जिन वर्णों का उच्चारण, साँस, कण्ठ, तालु आदि स्थानों से बिना रुके हुए निकलती है, उसे ‘स्वर’ कहाजाता है. जैसे;

Note: पहले हिंदी वर्णमाला में स्वरों की संख्या 14 हुआ करती थी.

जैसे; अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ऋ, लृ, लृ, ए, ऐ, ओ, औ

लेकिन समय के अनुसार ऋ और लृ एवं लृ का प्रयोग एवं प्रचलन कम हो गया. इसलिए, अप इसका प्रयोग नही किया जाता है. अब अब Hindi Varnamala में स्वरों की संख्या 11 है, जिसका अध्ययन आधुनिक हिंदी ग्रामर में किया जाता है.

Note:

  1. हिंदी वर्णमाला में ग्यारह स्वरों के अलावा अनुस्वार (अं) और विसर्ग (अ:) नामक दो ध्वनियां भी होती हैं, जिसे अयोगवाह कहते हैं. को वर्णों के मानक हिंदी स्वरों में स्थान नहीं दिया गया है.
  2. कुछ व्याकरण “ऋ” को स्वर नही मानते मानते है. उनका तर्क है कि इसका उच्चारण “रि” जैसा होता है, लेकिन मात्रा की दृष्टि से “ऋ” स्वर है.

Dependent Vowels – आश्रित स्वर

हिंदी वर्णमाला में, आश्रित स्वर वह मात्रा स्वर है जो स्वर का ही प्रतिनिधित्व करता है. मात्राओं की संख्या 11 होती है, लेकिन दृश्य रूप में मात्राओं की संख्या 15 होती है, जो इस प्रकार है:

ि
 

Note: इन मात्राओं का प्रयोग आप बेसक न करते हो, लेकिन इससे लिखे गए शब्द अवश्य पढ़ते है.

स्वर के प्रकार

हिंदी व्याकरण में स्वर वर्ण के भेद मुख्यतः दो आधार पर किये जाते है.

  1. उचाचरण में लगने वाले समय और
  2. जाति के आधार पर

हिंदी वर्णमाला में उच्चारण में लगने वाले समय या उच्चारण काल के आधार पर स्वर के तीन भेद होते है. जो इस प्रकार है:

  1. ह्रस्व स्वर
  2. दीर्घ स्वर
  3. प्लुत स्वर

ह्रस्व स्वर:  जिस वर्ण के उच्चारण में बहुत कम समय लगता हो, अर्थात, एक मात्रा, उसे ह्रस्व स्वर कहते है. जैसे;
अ इ उ

Note: अ, इ, उ, एवं ऋ ह्रस्व स्वर के रूप में परिभाषित किए जाते है. इन्हें मूल स्वर भी कहा जाता है. ये वर्णमाला के ऐसे स्वर है जिनका उच्चारण दीर्घ स्वर की अपेक्षा आधा समय लगता है.

दीर्घ स्वर: जिस वर्ण के उच्चारण में एक मात्रा का दुगुना समय लगे, उसे द्विमात्रिक या दीर्घ स्वर कहते है. जैसे;
आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ

Note: आ, ई, ऊ, ए, ऐ एवं औ दीर्घ स्वर है. इसके उच्चारण में समय अधिक लगता है.

प्लुत स्वर: जिस वर्ण के उच्चारण में सबसे अधिक समय लगे. अर्थात, दीर्घ स्वर से भी ज्यादा समय लगता है. या यूँ कहे कि उच्चारण में एक मात्रा का  तिगुना समय लगता है, उसे प्लुत स्वर कहते है. जैसे;
बाप रे !   रे रमना ! आदि

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हिंदी वर्णमाला में स्वरों का वर्गीकरण

हिंदी व्याकरण में स्वरों का वर्गीकरण निम्न है.

1. जिह्वा की ऊचाई के आधार पर:

  •  विवृत – आ
  •  अर्द्ध विवृत – ऐ औ
  • अर्द्ध संवृत – ए   ओ
  •  संवृत – इ ई उ ऊ

2. जिह्वा की उत्थापित भाग के आधार पर:

  • अग्रस्वर – इ ई ए ऐ
  •  मध्य स्वर – अ
  • पश्चस्वर – आ उ  ऊ  ओ  औ

3. ओष्ठों की स्थिति के आधार पर:

  •  प्रसृत – इ ई ए ऐ
  •  वर्तुल – उ ऊ ओ औ
  •  अर्धवर्तुल – आ

4. जिह्वा पेशियों के तनाव के आधार पर:

  •  शिथिल – अ इ उ 
  •  कठोर – आ ई  ऊ

Consonants (व्यंजन)

जिन वर्णों का उच्चारण स्वरों की सहायता से हो, उसे व्यंजन कहा जाता हैं. व्यंजन वर्णों का उच्चारण बिना स्वरों की सहायता से करना संभव नहीं है. इसलिए, स्वर रहित व्यंजन को लिखते समय उसके नीचे हल् (्) का चिह्न लगाते हैं, जैसे; क्, प्, न्, ह् आदि.

दुसरें शब्दों में,

हिंदी वर्णमाला में जिन वर्णो का उच्चारण स्वरों की सहायता के बिना नहीं हो पाता है, उसे व्यंजन वर्ण कहते है. जैसे; क+अ =क, ख + अ = ख, आदि.

क्षत्रज्ञ

Note: हर व्यंजन के उच्चारण में अ स्वर लगा होता है. अर्थात, अ के बिना व्यंजन का उच्चारण नहीं हो सकता है. हिंदी वर्णमाला में कुल 45 व्यंजन होते हैं, जो इस प्रकार है:

क , ख , ग , घ , ङ (क़, ख़, ग़)

च , छ , ज , झ , ञ (ज़)

ट , ठ , ड , ढ , ण ( ड़, ढ़ )

त , थ , द , ध , न

प , फ , ब , भ , म (फ़)

य , र , ल , व

श , श़, ष , स , ह

क्ष , त्र , ज्ञ , श्र

व्यंजन के प्रकार

हिंदी वर्णमाला में व्यंजन निम्न 3 प्रकार के होते हैं:

  1. स्पर्श व्यंजन
  2. अन्तस्थ व्यंजन
  3. ऊष्म व्यंजन

स्पर्श व्यंजन:

जिन व्यंजनों का उच्चारण करते समय हवा फेफड़ो से निकलते हुए किसी विशेष स्थान जैसे कण्ठ्य, तालु, मूर्धा, दन्त एवं ओष्ठ को स्पर्श करे, उसे स्पर्श व्यंजन कहते है. जैसे;

  • क वर्ग: क , ख , ग , घ , ङ (क़, ख़, ग़)
  • च वर्ग: च , छ , ज , झ , ञ (ज़)
  • ट वर्ग: ट , ठ , ड , ढ , ण ( ड़,ढ़ )
  • त वर्ग: त , थ , द , ध , न
  • प वर्ग: प , फ , ब , भ , म (फ़)
  • अंतस्थ: य , र , ल , व
  • उष्म: श , श़, ष , स , ह
  • संयुक्त व्यंजन: क्ष , त्र , ज्ञ , श्र

अन्तस्थ व्यंजन:

जिन वर्णो का उच्चारण वर्णमाला के बीच (स्वर एवं व्यंजन के मध्य) स्थित हो, अन्तस्थ व्यंजन कहते है. जैसे; अन्तस्थ व्यंजन – य र ल व 

उष्म/संघर्षी व्यंजन:

जिन व्यंजनों के उच्चारण में हवा मुख में घर्षण / रगड़ती हुई महसूस हो, उसे उष्म/संघर्षी व्यंजन कहते है. जैसे – उष्म/संघर्षी व्यंजन – श ष स ह 

व्यंजन का वर्गीकरण

हिंदी वर्णमाला में व्यंजन वर्ण का वर्गीकरण निम्न प्रकार किया गया है.

  • कण्ठ्य: क ख ग घ ङ ह
  • तालव्य: च छ ज झ ञ य श
  • मूर्धन्य: ट ठ ड ढ ण ष र
  • दन्त्य: त थ द ध न ल स
  • ओष्ठ्य: प फ ब भ म
  • दन्तोष्ठ: व
  • अनुनासिक: ङ ञ ण न म 

अघोष:

Hindi Varnmala के स्पर्श व्यंजन के प्रत्येक वर्ग (जैसे; क च ट त प) के प्रथम एवं द्वितीय व्यंजन, अघोष व्यंजन कहलाते है. जैसे; क ख च छ ट ठ  त थ प फ

घोष:

प्रत्येक वर्ग के तृतीय, चतुर्थ एवं पंचम व्यंजन, घोष व्यंजन कहलाते है. जैसे; ग घ ङ ज झ ञ ड ढ ण द ध न ब भ म

अल्पप्राण:

प्रत्येक वर्ग के प्रथम, तृतीय , पंचम व्यंजन ,अल्पप्राण व्यंजन कहलाते है. जैसे; क, ग, ङ, च, ज, ञ, ट, ड, ण, त, द, न, प, ब, म.

महाप्राण:

प्रत्येक वर्ग के द्वितीय एवं चतुर्थ व्यंजन, महाप्राण व्यंजन कहलाते है. जैसे; ख, घ, छ, झ, ठ, ढ, थ, ध, फ, भ.

Hindi Varnmala in English

कभी-कभी हिंदी अक्षर या हिंदी वर्णमाला का उच्चारण करने में समस्या होती है. क्योंकि, कई बार यह समझ नही पाते है कि किस वर्णमाला का उच्चारण किस प्रकार होगा. इसलिए, हिंदी वर्णमाला को इंग्लिश अल्फाबेट में निचे चार्ट के माध्यम से उपलब्ध किया गया है जिसके मदद से वर्णों का उच्चारण सही से कर सकते है.

अ – (a)आ – (aa)इ – (e)ई – (i)उ – (u)
ऊ – (oo)ऋ – (ri)ए – (e) ऐ – (ai)ओ – (o)
औ – (au)अं – (an)अः – (ah)क – (k)ख – (kh)
ग – (g)घ – (gh)ङ – (ng)च – (ch)छ – (chh)
ज – (j)झ – (jh)ञ – (yn)ट – (t)ठ -(th)
ड – (d)ढ – (dh)ण – (n)त – (t)थ – (th)
द – (d)ध – (dh)न – (n)प – (p)फ – (f)
ब – (b)भ – (bh)म – (m)य – (y)र – (r)
ल – (l)व – (v)श – (sh)ष – (sh)स – (s)
ह – (h)क्ष – (ksh)त्र – (tra)ज्ञ – (jn) (yn)

Hindi Varnmala में सभी आवश्यक तथ्यों जैसे वर्ण, अक्षर आदि के सम्बन्ध में पर्याप्त जानकारी प्रदान किया गया है, जो वर्णमाला को समझने में मदद करता है. उम्मीद है कि आपको हिंदी वर्णमाला का पोस्ट पसंद आया होगा.

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HIndi Varnmala: FAQs

Q. 52 अक्षर कौन से हैं?

हिंदी वर्णमाला में 52 अक्षर निम्न प्रकार है.

अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ऋ, ए, ऐ, ओ, औ, अं, अ:, क, ख, ग, घ, ङ, च, छ, ज, झ, ञ, ट, ठ, ड, ढ, ण, त, थ, द, ध, न, प, फ, ब, भ, म, य, र, ल, व, श, ष, ह, क्ष, त्र, ज्ञ.

Q. हिन्दी वर्णमाला में वर्णो की संख्या कितनी है?

हिंदी वर्णमाला में कुल 52 वर्ण होते है.

Q. हिंदी वर्णमाला में कितने संयुक्त व्यंजन है?

Hindi Varnmala में संयुक्त व्यजन की संख्या 4 होती है. जैसे; क्ष, त्र, ज्ञ, श्र

Q. हिंदी में कुल कितने व्यंजन हैं?

हिंदी वर्णमाला में 36 व्यंजन होते है.

Q. हिंदी वर्णमाला में कितने वर्गीय व्यंजन?

हिंदी वर्णमाला में वर्गीय व्यंजन क-वर्ग, च-वर्ग, ट-वर्ग, त-वर्ग, प-वर्ग के वर्णों को वर्गीय व्यंजन कहते हैं. इसकी की संख्या 25 होती है.

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