गणितीय मात्रात्मक यानि अंकगणित योग्यता से लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में महत्वपूर्ण प्रश्न पूछे जाते है. जिसमे विभिन्न प्रकार के संख्यात्मक योग्यता से सम्बंधित प्रश्न होते है. Ankganit Formula प्रशों को सरलता से हल करने में बेहद कारगर सिद्ध होता है. इसलिए, शिक्षक इस टोपिक को ध्यानपूर्वक पढ़ाते और समझाते है.
किसी भी प्रतियोगिता परीक्षा के लिए अंकगणितीय प्रश्न निर्णायक, सरल एवं अधिक मार्क्स प्रदान करने वाले होते है, जो उनकी सफलता का कारण बनता है. साथ ही साथ अकादमिक परीक्षा में भी इसकी भूमिका महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह संख्याओं को एक निश्चित अनुपात में गणना करने माध्यम प्रदान करता है.
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अंकगणित की परिभाषा – Arithmetic in Hindi
सामान्यतः, अंकगणित गणित की सबसे बड़ी शाखाओं में से एक है, जो गणित के लगभग एक तिहाई भाग को कवर करता है. परिभाषा के अनुसार, अंकों तथा संख्याओं की गणनाओं से सम्बंधित गणितीय शाखा को अंकगणित कहा जाता हैं.
हालांकि, यह गणित की प्रमुख शाखा है जिससे गणित की प्रारम्भिक शिक्षा का आरम्भ होता है. Ankganit के अध्ययन के अन्तर्गत जोड़, घटाव, गुणा, भाग, भिन्न, दशमलव, अनुपात, समानुपात, घातांक, वर्ग, आदि प्रक्रियाएँ की जाती है.
दुसरें शब्दों में, अंकगणित गणित की वह महत्वपूर्ण शाखा है, जिसके अंतर्गत अंकों तथा संख्याओं की गणनाओं को एक निश्चित अवस्था में व्यवस्थित कर किया जाता है, वह अंकगणित कहलाता है.
अंकगणित के प्रकार
साधारणतः अंकगणित के कई प्रकार है जिसे अलग-अलग भागों में अध्ययन करते है.
जैसे,
- संख्या
- लागुत्तम एवं महत्तम
- भिन्न
- सरलीकरण
- वर्ग और वर्गमूल
- घन और घनमूल
- घातांक
- अनुपात एवं समानुपात
- समय एवं दुरी, आदि.
अंकगणित की मूल प्रक्रिया | Ankganit Facts
Ankganit में लगभग चार प्रक्रियाएं होती है जो प्रत्येक प्रकार के हल में प्रयोग होता है. जो इस प्रकार है.
- जोड़ (Addition)
- घटाना (Subtraction)
- गुणा (Multiplication)
- भाग (Devision)
अंकगणित का सभी फार्मूला
आवश्यकता एवं प्रयोग के अनुसार Ankganit को भिन्न-भिन्न भागो में विभक्त कर अध्ययन किया जाता है. उसी के अनुसार यानि प्रत्येक भाग का फार्मूला यहाँ उपलब्ध है, जो अंकगणित के तैयारी में सहायता प्रदान करेगा.
संख्या पद्धति
प्राकृतिक संख्या:- ऐसी संख्याएँ जो वस्तुएं के गिनने के काम आती है उन्हें प्राकृतिक संख्या कहते हैं.
पूर्ण संख्याऐं:- यदि प्राकृतिक संख्या के समूह 0 को शामिल कर लिया जाए, तो प्राप्त संख्याएँ पूर्ण संख्या कहलाती है.
पूर्णांक संख्याएँ:- पूर्ण संख्या तथा ऋणात्मक संख्याओं के समुह को, पूर्णांक संख्याएँ कहते है.
सम संख्याऐं:– दो से विभाजित होने वाली प्राकृतिक संख्या सम संख्याऐं कहलाती है.
विषम संख्याऐं:– वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित नहीं होती है, विषम संख्याएं कहलाती है.
अवश्य पढ़े, संख्या पद्धति के सभी फार्मूला यहाँ उपलब्ध है.
लगुत्तम और महत्तम फार्मूला
दो या दो से अधिक संख्याओं का लघुत्तम, वह छोटी से छोटी संख्या हैं, जो उन संख्याओं से पूर्णतः विभाजित हो जाती हैं.
सामायतः, दो से अधिक संख्याओं का महत्तम, वह बड़ी से बड़ी संख्या हैं, जिसमे सभी संख्याएँ पूर्णतः विभाजित हो जाती हैं.
- ल.स. = (पहली संख्या × दूसरी संख्या) ÷ HCF
- ल.स × म.स. = पहली संख्या × दूसरी संख्या
- पहली संख्या = (LCM × HCF) ÷ दूसरी संख्या
- म.स. = (पहली संख्या × दूसरी संख्या) ÷ LCM
- दूसरी संख्या = (LCM × HCF) ÷ पहली संख्या
अवश्य पढ़े, LCM और HCF का नियम
भिन्न फार्मूला
यदि कोई संख्या p/q के रूप का हो, तो उसे भिन्न संख्या कहते है. जहाँ p और q पूर्णांक तथा q ≠ 0 हो. अर्थात, p को अंश एवं q को हर कहा जाता है. इसे तिन प्रमुख भागों में विभक्त किया गया है.
- साधारण भिन्न
- दशमलव भिन्न
- सतत भिन्न
अवधारणाओं के अनुसार विशेष स्थति में भिन्न का अध्ययन विभिन्न रूपों में भी क्या जाता है.
सरलीकरण फार्मूला
गणितीय संख्याओं को साधारण भिन्न या संख्यात्मक स्वरूप में बदलने की प्रक्रिया को सरलीकरण कहा जाता है. इसे कई प्रकार से परिभाषित किया जाता है जिसमे भिन्न-भिन्न सूत्रों का उपयोग किया जाता है.
जैसे,
- B = कोष्ठक ( Bracket )
- O = का ( Of )
- D = भाग ( Division )
- M = गुणा ( Multiplication )
- A = योग ( Addition )
- S = अन्तर ( Subtraction ) और
- a²- b² = (a + b) (a – b)
- (a+b)²= a²+ 2ab + b²
- (a-b)²= a²- 2ab + b²
- (a+b)² + (a-b)²= 2(a²+b²)
- (a+b)² – (a-b)²= 4ab
- (a+b)³ = a³ + b³ + 3ab(a+b)
- (a-b)³ = a³- b³- 3ab(a-b)
- a³+ b³ = (a + b) (a² – ab + b²)
- a³- b³ = (a-b) (a² + ab + b²)
वर्ग और वर्गमूल
किसी दी हुई संख्या का वर्गमूल वह संख्या होती है, जिस संख्या का वर्ग करने पर दी हुई संख्या प्राप्त होती है. वर्गमूल को ‘√’ चिन्ह से प्रदर्शित किया जाता है.
किसी दी हुई संख्या को उसी संख्या से गुना करने पर प्राप्त संख्या उस संख्या का वर्ग कहलाता है.
जैसे,
- ab = √a × √b
- (ab)1/2 = √a . b1/2 = a1/2 b1/2
- (a-b)2 = a2 – 2ab + b2
- (a+b)2 = a2 + 2ab + b2
- √a/b = √a / √b
- √(a/b) = (a)1/2 / (b)1/2
- (a+b)2 + (a-b)2 = 2(a2 + b2)
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अनुपात एवं समानुपात
दो गणितीय समान राशियों के तुलनात्मक अध्ययन को अनुपात कहते हैं, जिसे a तथा b के अनुपात को a : b द्वारा निरूपित करते हैं.
जब चार राशियाँ, पहली राशि और दूसरी राशि का अनुपात तीसरी और चौथी राशि के अनुपात के बराबर हों, तो वह समानुपात कहलाता हैं. जिसे a : b : : c : d से सूचित करते है.
अवश्य पढ़े, अनुपात और समानुपात
महत्वपूर्ण तथ्य
अंकगणित के अंतर्गत संख्याओं के आवश्यक भागों जैसे जोड़,घटाव,भाग,गुणा आदि अध्ययन किया जाता है. ये संख्याओं को अलग-अलग भागों में विभक्त करने का माध्यम प्रदान करता है जिससे प्रश्न हल करना सरल हो जाता है. प्रत्येक व्यक्ति अपने वर्तमान या दैनिक जीवन में अंकगणित (ankganit) का उपयोग करते है, इसलिए, यह आवश्यक एवं सरल हो जाता है.