जोड़ यानि Addition गणित के चार बुनियादी अंकगणितीय संक्रियाओं में से एक है, अर्थात् इसे जोड़, घटाव, गुणा और भाग के नाम से जाना जाता है. इस प्रक्रिया का उपयोग दो या दो से अधिक संख्याओं या वस्तुओं को एक साथ जोड़ने के लिए किया जाता है.
विभिन्न प्रकार के लेन-देन, विक्री करने या खरीदने के दौरान यह हमारे दैनिक अस्तित्व में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसके अलावा, जोड़ शिक्षा की प्रथम इकाई है, जो छात्रों को उनके प्राथमिक स्तर पर प्रदान किया जाता है.
जोड़ यानि जोड़ की अवधारणा का प्रयोग निम्न स्तर से लेकर उच्च स्तर तक की शिक्षा में होता है. जोड़ मुख्यतः विभिन्न प्रकार की होती है. जैसे, अंको का जोड़, संख्याओं का जोड़, चर-अचर का जोड़, त्रिकोणमितिय फलन का जोड़ आदि. इन सभी में नियम एक ही रहता है केवल प्रक्रिया बदल जाता है.
अतः यहाँ आप जोड़ का अर्थ, गुण, संख्या रेखा पर योग, विभिन्न प्रकार के Tricks, Tips और Techniques एवं Formula का अध्ययन करेंगे जो क्लास 1 से लेकर उच्च डिग्री तक की जरूरतों को पूरा करेगा.
जोड़ की परिभाषा | जोड़ की अवधारणा
जब किसी संख्या या अंक में एक या एक से अधिक संख्या या अंक को किसी विशेष नियम के अनुसार शामिल किया जाता है तो उसे जोड़ या योग कहा जाता है.
दरअसल, Addition गणित में संख्याओं को जोड़ने के लिए उपयोग किया जाने वाला एक प्रकिया है, जो दो या दो अधिक अंको, संख्याओं, वस्तुओं आदि का एक में मिलाने का कार्य करती है उसे जोड़ / योग / Addition कहते है.
उदाहरण:
- 2 + 3 = 5
- 4 + 6 = 10
- 10 + 15 =25
- 25 + 27 = 52
जोड़ की अवधारणा
दरअसल, जोड़ या Addition दो या दो से अधिक संख्याओं को एक साथ जोड़ने का वर्णन (Describe) करने के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला शब्द है. जिसे Positive sign यानि धन चिह्न ‘+’ का प्रयोग करके दर्शाया जाता है.
जैसे; 5 और 3 के योग को 5 + 3 के रूप में लिखा जा सकता है. साथ ही, Positive sign / धन चिह्न (+) का प्रयोग जितनी बार आवश्यकता हो, किया जा सकता है. जैसे; 5 + 5 + 5 + 5 + 5 + 5
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Addition Symbol (+) & ∑
जोड़ने के लिए प्रयुक्त किया जाने वाला Symbol “+” होता है. जब कभी महत्वपूर्ण रूप से बड़ी संख्या या अधिक वस्तुओं का जोड़ सुनिश्चित करना होता है, तो Sigma Symbol यानि सिग्मा प्रतीक (∑) का प्रयोग किया जाता है.
अर्थात, बड़ी संख्याओं की सूचियों के लिए, आमतौर पर एक कॉलम / Column में संख्याओं की सूची लिखना और सबसे नीचे Sigma Symbol (∑) देना सबसे सरल होता है.
उदाहरण:
1. 2 + 3 + 4 + 5 + 6
2. second example
Addition | जोड़ |
11 | 5 |
08 | 9 |
12 | 8 |
∑ = 31 | ∑ = 24 |
जोड़ का फार्मूला
किसी भी जोड़ तथ्य को लिखने के लिए जिस जोड़ के नियम का प्रयोग किया जाता है, वह है.
जोड़ + जोड़ = योग / जोड़
Addition / जोड़ करते समयकुछ शब्दों का प्रयोग निश्चित रूप से किया जाता है, जो इस प्रकार हैं:
Addends: वे संख्याएँ जिन पर जोड़ / योग प्रक्रिया की जानी है.
Sum: जोड़ का अंतिम उत्तर.
Symbols: जोड़ करते समय दो Symbols का उपयोग करते हैं, एक प्लस चिह्न (+) है और दूसरा ‘बराबर’ चिह्न (=) है.
जोड़ का नियम
1. किसी भी अंक / संख्या योग प्रक्रिया में Sign का महत्व सबसे अधिक होता है. इसलिए, चिन्हों का नियम समझना अनिवाय है. आप इसे निम्न प्रकार व्यक्त कर सकते है.
- (+) + (+) = +
- (-) + (+) = –
- (-) + (-) = –
- (+) + (-) = –
अर्थात,
- (+a)+(+b) = (a+b)
- (a+(-b)) = (a-b)
- (-a)+(-b) = -(a+b)
- (a)+(-b) = (a-b)
ये सबसे महत्वपूर्ण नियम है क्योंकि दो अंको की जोड़ में ऐसी स्थिति आते है जब आपको Sign लिखने होते है.
जोड़ का उदाहरण
गणित में जोड़ का महत्व सबसे अधिक इसलिए है क्योंकि इसका प्रयोग लगभग प्रत्येक कक्षा में होता है. डिग्री के अनुसार जोड़ की प्रक्रिया भी बदलती रहती है. यहाँ कुछ उदाहरण के साथ प्रैक्टिस करेंगे और समझेंगे की यह महत्वपूर्ण क्यों है.
उदाहरण: 1999 + 3888 = ?
जोड़ की प्रक्रिया पूरी करने के लिए कुछ Steps होते है जिसका पालन करना अनिवार्य होता है.
Step 1: सबसे पहले इकाई के अंकों को जोड़े. ( 8 + 9 = 7) शेष 1
Step 2: दहाई के अंक को जोड़े ( 8 + 9 = 8) शेष 1
Step 3: अब सैकड़ा के स्थान का अंक जोड़ें ( 8 + 9 = 8) शेष 1
Step 4: अब हज़ारों के अंक के अंक जोड़ें ( 8 + 9 = 8) शेष 1
Step 5: अंत में दस हजार के अंक के अंक जोड़ें ( 3 + 8 = 12)
Step 6: 1999 + 3888 = 128887
ध्यान दें, शेष वाले अंक को हर बार जोड़ा गया है.
इसी प्रकार आप आगे की जोड़ पूरी कर सकते है. जैसे;
उदाहरण; 345 + 678 = 1146
जोड़ की अवधारणा सम्बंधित महत्वपूर्ण तथ्य
दो या दो से अधिक संख्याओं के योग में कुछ महत्वपूर्ण गुण होते हैं, जिसे समझना आवश्यक है. वो इस प्रकार है.
दो पूर्ण संख्याओं का योग पुनः एक पूर्ण संख्या होती है.
दो प्राकृत संख्याओं के योग से प्राकृत संख्या प्राप्त होगी.
दो पूर्णांकों का योग एक पूर्णांक होगा.
दो धनात्मक पूर्णांकों का योग एक धनात्मक पूर्णांक होगा.
दो ऋणात्मक पूर्णांकों का योग एक ऋणात्मक संख्या होगी और एक धनात्मक और एक ऋणात्मक पूर्णांक का योग एक पूर्णांक होगा जिसमें सबसे बड़ी संख्या का चिह्न योग के पहले होगा.
दो परिमेय संख्याओं का योग एक परिमेय संख्या होगी. साथ ही, धनात्मक और ऋणात्मक चिह्नों से संबंधित गुण पूर्णांकों के समान ही होंगे.
किसी भी संख्या को 0 से जोड़ने पर ही वह संख्या प्राप्त होती है.
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