हिंदी व्याकरण में लिंक का महत्व संज्ञा के विभिन्न रूपों का सही तरीका से इस्तेमाल करना है ताकि वाक्य से सही अर्थ व्यक्त किया जा सके. दरअसल, Ling का तात्पर्य हिंदी भाषा के ऐसे प्रावधानों से है जो वाक्य के कर्ता के स्त्री, पुरुष, निर्जीव के अनुसार बदल जाते हैं। विश्व की लगभग एक चौथाई भाषाओं के व्याकरण में किसी न किसी प्रकार की लिंग व्यवस्था है।
व्याकरण में Ling का अध्ययन यह सुनिश्चित करता है कि वाक्य किस जाति यानि लिंग से सम्बन्ध रखता है और उसके साथ किस प्रकार का शब्द प्रयोग किया जाना चाहिए। लिंग का निर्धारण करने से वाक्य गलत नही होते है। और इससे प्रतियोगिता एवं अकादमिक एग्जाम में प्रश्न भी पूछे जाते है। इसलिए, आवश्यक है कि Ling (Hindi Gender) के नियम आपको ज्ञात हो।
लिंग की परिभाषा
संज्ञा के जिस रुप से व्यक्ति या वस्तु की नर या मादा जाति का पता चले, उसे व्याकरण में लिंग कहते हैं।
दूसरे शब्दों में, लिंग किसे कहते है?
जिस शब्द से यह पता चले कि किसी संज्ञा की स्त्री या पुरुष का जाति का बोध हो, उसे लिंग कहते है।
उदाहरण:
- पुरुष जाति = लड़का, हाथी, शेर, घोडा, दरवाजा, पंखा, कुत्ता, भवन, पिता, भाई आदि।
- स्त्री जाति = गाय, मोरनी, मोहिनी, हथनी, शेरनी,खिड़की, कुतिया, माता, बहन आदि।
उपरोक्त उदाहरण से यह स्पष्ट हो रहा है कि संज्ञाएँ पुरुष जाति या स्त्री जाति के है. इसलिए, ये सभी लिंग है
लिंग का अर्थ
व्याकरण के अनुसार “Ling” लिंग दरअसल ‘संस्कृत’ भाषा का एक शब्द है। जिसका अर्थ “चिन्ह या निशान” होता है। निश्चित रूप से ‘चिन्ह’ या ‘निशान’ किसी संज्ञा का ही होता है। इसलिए, ‘संज्ञा’ किसी वस्तु के नाम को ही कहते है, और वस्तु या तो पुरुषजाति का होगा या स्त्रीजाति की।
तात्पर्य यह है कि प्रत्येक संज्ञा पुलिंग या स्त्रीलिंग होगा। जिसका व्याख्या यहाँ नियम के अनुसार किया गया है. लिंग के अनुसार संज्ञा के भी दो रूप है।
अप्राणिवाचक संज्ञा; जैसे — प्याली, पत्ता, पेड़, लोटा इत्यादि
प्राणीवाचक संज्ञा; जैसे — लड़का- लड़की, माता – पिता, घोड़ा – घोड़ी इत्यादि ।
Note: लिंग के अर्थ के अनुसार हिंदी में सजीव के अतिरिक्त निर्जीव या भाव को भी परुष जाती अथवा स्त्री जाती में रखा गया है:
लिंग के भेद
हिंदी व्याकरण के अनुसार लिंग दो प्रकार का होता है। जबकि अंग्रेजी में लिंग चार और संस्कृत में लिंग के तीन भेद होते है. हिंदी लिंके के भेद इस प्रकार है:
- पुलिंग (Masculine Gender)
- स्त्रीलिंग (Feminine Gender)
अग्रेजी व्याकरण में भी लिंग का निर्णय इसी व्यवस्था के अनुसार विभाजित किया गया है।
पुलिंग:–
वह संज्ञा जिससे केवल पुरुष जाती का बोध हो,उसे पुलिंग कहते है।
अर्थात, जिस शब्द से पुरुष जाति का बोध हो, उसे पुलिंग कहते है. जैसे;
सजीव (प्राणीवाचक): राम, लड़का, घोड़ा, बैल, नाग आदि
निर्जीव (अप्राणीवाचक): माकन, पत्र, नेत्र, ऊख, पवन आदि
भाव ((अप्राणीवाचक): प्रेम, बुढ़ापा, लड़कपन, सुख, दुःख आदि
स्त्रीलिंग :–
वह संज्ञा जिससे केवल स्त्री जाति का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते है।
अर्थात, जिस शब्द से स्त्री जाति का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते है. जैसे;
सजीव (प्राणीवाचक): सीता, लड़की, घोड़ी, गाय, नागिन आदि
निर्जीव (अप्राणीवाचक): ईमारत, चिठ्ठी, आँख, ईख, हवा आदि
भाव ((अप्राणीवाचक): सचाई, ईमानदारी, बनावट सजावट आदि
वाक्यो में लिंग निर्णय
हिंदी में लिंगो की अभिव्यक्ति वाक्यो में होती है, तभी संज्ञाशब्दो का लिंगभेद स्पष्ट होता है। वाक्यों में “Ling” सर्वनाम, क्रिया, विशेषण, और विभक्तियो में विकार उतपन्न करता है। जैसे —
सर्वनाम में:
मेरी पुस्तक अच्छी है। ( ‘पुस्तक’ स्त्रीलिंग के अनुसार )
मेरा घर अच्छा है। ( ‘घर’ पुलिंग के अनुसार )
उसकी कलम खो गई। ( ‘कलम’ स्त्रीलिंग के अनुसार )
उसका स्कूल बंद है। ( ‘स्कूल’ पुलिंग के अनुसार )
तुम्हारी जेब खाली है। ( ‘जेब’ स्त्रीलिंग के अनुसार )
तुम्हारा कोट अच्छा है। ( ‘कोट’ पुलिंग के अनुसार )
क्रिया में:
सहायता मिली है। ( ‘सहायता’ स्त्रीलिंग के अनुसार )
भात पका है। ( ‘भात’ पुलिंग के अनुसार )
दाल बनी है। ( ‘दाल’ स्त्रीलिंग के अनुसार )
बुढ़ापा आ गया। ( ‘बुढ़ापा’ पुलिंग के अनुसार )
विशेषण में:
वह बड़ा मकान है। ( ‘मकान’ पुलिंग के अनुसार )
यह बड़ी पुस्तक है।( ‘पुस्तक’ स्त्रीलिंग के अनुसार )
वह छोटा सा कमरा है।( ‘कमरा’ पुलिंग के अनुसार )
यह छोटी लड़की है।( ‘लड़की’ स्त्रीलिंग के अनुसार )
मोटा सा आदमी आ गया।(‘आदमी’ पुलिंग के अनुसार)
विभक्ति में:
सबंध – गुलाब का रंग लाल है। (‘रग’ पुलिंग के अनुसार)
आपका चरित्र अच्छा है। (‘चरित्र’ पुलिंग के अनुसार)
आपकी नाक कट गई है।(‘नाक: स्त्रीलिंग के अनुसार)
सबोधन – दुर्गा माँ। तुम्हारी जय हो। (‘माँ’ स्त्रीलिंग के अनुसार)
अवश्य पढ़े,
कारक: परिभाषा, चिन्ह, भेद, उदाहरण एवं नियम
वचन: परिभाषा, भेद, उदाहरण एवं नियम
तत्सम (सास्कृत) शब्दों का लिंगनिर्णय
संस्कृत पुलिंग शब्द
पुलिंग शब्द को पहचानने के लिए निम्नलिखित नियम है।
- जिन संज्ञाओ के अंत में ‘त्र’ होता है। जैसे – नेत्र, क्षेत्र, चित्र, पात्र, चरित्र, शास्त्र इत्यादि।
- ‘नॉत’ संज्ञाऍ; जैसे– हरण, गमन, नयन, वचन, दमन, पोषण, पालन इत्यादि।
- ‘ज’ प्रत्ययांत संज्ञाऍ है। जैसे – जलज, पिंडज, सरोज,स्वेदज इत्यादि।
- जिन भाववाचक संज्ञाओ के अंत में त्व, त्य, व, य होता है। जैसे — सतीत्व, माधुर्य, गौरव, लाघव, कृत्य, नृत्य, बहुत्य इत्यादि।
- जिन शब्दों के अंत में ‘आर’ या ‘आस’ हो; जैसे — संसार, विकार, विस्तार, अध्याय, उपाय, समुदाय, उल्लास, विकास, ह्यास इत्यादि।
- ‘अ’ प्रत्ययांत संज्ञाऍ है; जैसे – त्याग, पाक, दोष, क्रोध, मोह, स्पर्श इत्यादि।
- ‘त’ प्रत्ययांत संज्ञाऍ है; जैसे — स्वागत, मत, गीत, गणित, चरित, फलित इत्यादि।
- जिनके अंत में ‘ख’ होता है। जैसे – नख, मुख, सुख, दु:ख, लेख, मख, शंख इत्यादि।
अपवाद:
- उभलिंग – पवन, सहाय, विनय इत्यादि।
- स्त्रीलिंग — आय, जय, दया, कृपा इत्यादि।
अन्य तत्सम शब्दों का उदाहरण:
चित्र, पत्र, पत्रा, मित्र, गोत्र, दमन, गमन, गगन, पोषण, शोषण, पालन, लालन, मलयज, जलज, उरोज, सतीत्व, कृत्य, स्त्रीत्व, लाघव, वीर्य, माधुर्य, कार्य, कर्म, प्रकार, प्रहार, विहार, प्रचार, सर, प्रसार, अध्याय, उपहार, मास, लोभ, क्रोध, बोध, मोड़,
नख, मुख, शिख, दुःख, सुख, शंख, तुषार, उत्तर, प्रश्न, मस्तक, नृत्य, कष्ट, छत्र, मेघ, पहर, सौभग्य, अंकन, अंकुश, अजंन, अंचल, अंबुज, अंश, अकाल, अक्षर, कवच, कलश, काव्य, कास, गण, ग्राम, गृह, चन्द्र, चन्दन, अलंकार, सरोज,
परिमाण, संस्करण, वचन, मर्म, यवन, रविवार, सोमवार, रूप, रूपक, राष्ट्र, प्रान्त, नगर, देश, सागर, साधन, सर, तत्व, स्वर्ग, दण्ड, दोष, धन, नियम, पक्ष, विनिमय, विभाग, विभाजन, विरोध, विवाद, शासन, प्रवेश, वाद, अवमान, अनुमान,
आकलन, निमंत्रण, उद्भव, अद्भुत, निबन्ध, नाटक, निगम, न्याय, समाज, विवाह, धर्म, वित्त, उपादान, उपकरण, आक्रमण, श्रम, विध्न, बहुमत, निमार्ण, संदेश, प्रस्ताव, आभार, आवास, छात्रवास, अपराध, प्रभाव, उत्पादन, लोक, विराम, परिहार, विक्रम, न्याय, संघ, परिवहन, संकल्प इत्यादि।
संस्कृत स्त्रीलिंग शब्द
स्त्रीलिंग शब्दों को पहचानने के निम्नलिखित नियम हैं।
- नाकरांत संज्ञाऍ;- जैसे — प्रार्थना, वेदना, रचना, घटना इत्यादि।
- आकारांत संज्ञाऍ;- जैसे — दया, माया, कृपा, लज्जा, क्षमा, शोभा इत्यादि।
- उकारांत संज्ञाऍ;- जैसे — वायु, रेणु, रज्जु, जानु, मृत्यु, आयु, वास्तु, धातु, ऋतु इत्यादि।
- जिनके अंत में ‘ति’ ‘वा’ ‘नि’ हो। जैसे — मती, गति, रीती, हानि, गलानी, योनि, बुद्धि, रिद्धि, सिद्धि इत्यादि।
- ‘ता’ प्रत्ययांत भाववाचक संज्ञाऍ है। जैसे — लघुता, प्रभुता, सुंदरता, नर्मदा, जड़ता इत्यादि।
- इकारांत संज्ञाऍ;- जैसे — विधि, निधि, परिधि, राशि, अग्नि, छवि, केली रुचि इत्यादि।
- ‘इमा’ प्रत्ययांत शब्द; जैसे — गरीमा, कलीमा, महिमा, लालिमा इत्यादि।
- आपवद – वारी, जलधि, पाणी, गिरी, बली, मधु, अश्रु, तालु, मेरु, हेतु, सेतु इत्यादि।
अन्य उदाहरण:
दाया, कृपा, माया, लज्जा, सभा, सभा, वेदना, संवेदना, रचना, घटना, नम्रता, सुंदरता, प्रभुता, जड़ता, महिमा, गरिमा, कालिमा, लालिमा, भाषा, आशा, निराशा, पुर्णिमा, काया, कला, इच्छा, अनुज्ञा,आराधना,उपासना, याचना, रक्षा,
आजीविका, घोषणा, गणना, परीक्षा, नगरपालिका, नगरिक्ता, योग्यता, सिमा, स्थापना, संस्था, सहायता, मान्यता, व्याख्या, शिक्षा, समता, सूचना, सेवा, सेना, अनुमति, अभीयुक्ति, अभिव्यक्ति, उपलब्धि, विधि, क्षति, पूर्ति, विकृति,
जाति, निधि, सिध्दि, समिति, युक्ति, निर्मिती, रीति, शक्ति, प्राकृतिक, कृती, प्रतिभूति, पतिलिपि, अनुभूति, युक्ति, हानि, सिथ्ति, विमति, वृत्ति, आवृत्ति, शांति, संधि, समिति, संपति, कटी, छवि, रुचि, अग्नि, केली, नदी, नारी, मंडली, लक्ष्मी, श्री, कुंडली, गोष्टी, छत्री, मृत्यु, आयु, वस्तु, रज्जु, रेणु, वायु इत्यादि।
अपवाद – रवि, शशि, मुनि, पति, गिरी इत्यादि।
तद्भव शब्दो का लिंगनिर्णय
तद्भव शब्दों के लिंग निर्णय में अधिक कठिनाई होती है। तद्भव शब्दों का लिंग भेद अप्राणिवाचक शब्दो का निर्णय कैसे किया जाए। इसके बारे में विद्वानों में मतभेद है। पर आज इसके बारे में हम आपके डाउट को क्लियर कर देंगे। तद्भव शब्दो को पुलिंग को तीन और स्त्रीलिंग शब्दो के दस नियमो के बारे में बतायेगे।
तद्भव पुलिंग शब्द
- जिन भाववाचक संज्ञा के अंत में ना, आव, पन, वा, पा होता है। जैसे – बड़प्पन, बुढापा, चढ़ाव, बहाव, गाना, आना इत्यादि।
- उनवाचक संज्ञाओ को छोड़कर शेष अकारांत संज्ञाऍ ; जैसे – कपड़ा, गन्ना, आटा, चमड़ा, पैसा, पहिया इत्यादि।
- कृदंत की आनंत संज्ञाऍ; जैसे – लगान, मिलान, नहान, उठान, पान, खान इत्यादि।
अपवाद — चट्टान, उड़ान इत्यादि।
तद्भव स्त्रीलिंग शब्द
- जिन भाववाचक संज्ञाओ के अंत में ट, वट, हट, होता है। जैसे — आहट, झंझट, चिकनाहट, घबराहट, सजावट इत्यादि।
- जिन संज्ञाओ के अंत में ‘ख’ होता है; जैसे — साख, आँख, ईख, भूख, राख, चीख, काँख, कोख, देखरेख इत्यादि।
- आपवद – रुख पंख
- कृदंत की अकरांत संज्ञाऍ; जैसे – लूट, मार, सँभाल, पुकार, समझ, छाप इत्यदि।
- अपवाद – मेल, बोल, नाच, उतार इत्यादि।
- कृदंत नाकरांत संज्ञाऍ जिनका उपांत्य वर्ग अकारांत हो अथवा जिनकी धातु नाकरांत हो; जैसे — पहचान, उलझन, जलन, सूजन, रहन इत्यदि।
- अपवाद – चलन इत्यदि।
- ईकारांत संज्ञाऍ; जैसे — टोपी, उदासी, रोटी, नदी, चिठ्ठी इत्यदि।
- आपवद – मोती, घी, जी, दही इत्यादि।
- ऊनवचक यकारांत संज्ञाऍ; जैसे – पुड़िया, गुड़िया, खटिया, टिबिया, ठिलिया इत्यादि।
- तकारांत संज्ञाऍ; जैसे — पत, छत, लात, भात, बात, भीत, गीत इत्यादि।
- आपवद – गात, दाँत, खेत, सुत इत्यादि।
- ऊकारांत संज्ञाऍ; जैसे — दारू, बालू, ब्यालू, झाड़ू, लू इत्यादि।
- आपवद – आलू, आंसू, टेसू, रतालू इत्यादि।
- अनुस्वारांत संज्ञाऍ; जैसे — भौ, चूँ, जू, खड़ाऊ, सरसो इत्यादि।
- सकारांत संज्ञाऍ; जैसे — बॉस, रास, साँस, मिठास इत्यादि।
- आपवद – काँस, रास, निकास इत्यादि।
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प्रत्ययों के आधार पर तद्भव शब्दों का लिंगनिर्णय
हिंदी के कृदंत और तद्धित प्रत्यय में स्त्रीलिंग-पुलिंग बनने का निम्नलिखित प्रत्यय है,
पुलिंग कृदंत – प्रत्यय — पुलिंग कृदंत प्रत्यय के अनुसार जिस शब्द मे आ, आक, आप, आऊ, आकू, आपा, आवा, आव, आवन, इया, इयल, इया, ऊ, एरा, ऐया, ऐत, औत, औना, औवल, क, का, के, ना, वाला, वैया सार, हा इत्यादि हिंदी कृदंत – प्रत्यय शब्द जिन धातु शब्दो में लगे हो वे पुलिंग होते है।
जैसे – मेरा, तैराक, मिलाप, लड़ाकू, पुजापा, छलावा, घुमाव, लुटेरा, कटैया, समझौता, खिलौना, घालक, छिलका, खान-पान, खानेवाला इत्यादि।
Note:
- क और न कृदंत – प्रत्यय उभयलिंग है। इन दो प्रत्ययों और स्त्रीलिंग प्रत्ययों को छोड़ शेष सभी पुलिंग है।
- सार उर्दू का कृदंत – प्रत्यय है, जो हिंदी में फ़ारसी से आया है मगर काफी प्रयुक्त है।
स्त्रीलिंग कृदंत – प्रत्यय — स्त्रीलिंग कृदंत प्रत्यय के अनुसार जिस शब्द मे अ, अंत, आई, आन, आवट, आस, आहट, ई, औती, आवनी, क, की, त, ती, नी इत्यादि हिंदी कृदंत प्रत्यय जिन धातु शब्दो मे हो, वे स्त्रीलिंग होते है।
जैसे – लूट, चमक, देंन, भिड़त, लड़ाई, लिखावट, प्यास, घबराहट, हँसी, छावनी, बैठक, फुटकी, बचत, गिनती, करनी, भरनी इत्यादि।
Note:
- स्त्रीलिंग, कृदंत प्रत्ययों में अ, के और न प्रत्यय कही-कही पुलिंग में भी आते है और कभी-कभी इनसे बने शब्द उभयलिंगी भी होते है। जैसे – सीवन ( ‘न’ प्रत्यंयांत ) क्षेत्रभेद से दोनों लिंगों को चाहता है। अतः शेष सभी प्रत्यय स्त्रीलिंग है।
पुलिंग तद्धित – प्रत्यय — पुलिंग तद्धित प्रत्यय शब्द में आ, आका, आऊ, आटा, आर, आना, इयल, आल, आड़ी, आरा, आसा, इला, उआ, ऊ, एरा, एड़ी, ऐत, एला, ऐला, ओटा, ओट, औडा, ओला, का, जा, टा, डा, ता, पना, पन, पा, ला, वंत, वान, वाला, वाँ, वा, सरा, सौ, हर, हरा, हा, हारा इत्यादि हिंदी तद्धित प्रत्यय जिन शब्दों में लगे हो, वे शब्द पुलिंग होते है;
जैसे – धमाका, पैताना, भिखारी, हत्यारा, मुहासा,मछुआ, सपेरा, गजेडी, डकैत, अधेला, चमेटा, लँगोटा, चिपका, रायता, कालापना, बुढ़ापा, टोपीवाला, छठा, दूसरा, पीहर, इकहरा, चुड़िहार इत्यादि।
स्त्रीलिंग तद्धित – प्रत्यय — आई, आवट, आस, आहट, इन, एली, औटि, औड़ी, औती, की, टी, डी, त, ती, नी, री, ल, ली इत्यादि हिंदी तद्धित – प्रत्यय जिन शब्दों में लगे होते है। वे स्त्रीलिंग होते है; जैसे – जमावट, भलाई, हथेली, टिकली, चमड़ी इत्यादि।
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लिंगनिर्णय के कुछ सरल सूत्र
संज्ञाओ के लिंगभेद में हिंदी के सामान्य पाठकों को कठिनाई होती है। हिंदी के व्याकरण में अबतक जो भी नियम बताए हैं वह काफी उलझन पैदा करती हैं। लिंग भेद के लगभग चालीस नियम बताए गय हैं।
जिसमे लिंगभेद की कठिनाई दूर नहीं होती। नियमों के अपवाद कभी-कभी उनके उदाहरण से कहीं अधिक है। हमे कुछ ऐसे सरल सूत्रों की आवश्यकता होती है, जो तत्सम, तद्भ्व, देशज, विदेशज सभी प्रकार के संज्ञाओ के सामान्यरूप से लागू हो सके।
हिंदी में संज्ञाओ के लिंग भेद में संस्कृत की Ling – व्यवस्था का काफी हद तक अनुसरण किया है। हिंदी तदभवो पर संस्कृत के तत्समो का सीधा प्रभाव है। तत्सम यदि पुलिंग अथवा नपुंसक हो, तो उसका तद्भ्व पुलिंग ही होगा।
इस प्रकार संस्कृत का ज्ञान रखने वाले हिंदी में तद्भव की लिंगनिर्णय में कोई कठनाई नही होगी। हमारे सूत्रों में मुताबिक यदि तद्भ्व चाहे अकारांत हो या फिर आकारांत इससे कोई समस्या नही है यदि उनके तत्सम अकारांत हो, तो वह शब्द पुलिंग ही होंगे।
पुलिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम
पुलिंग से स्त्रीलिंग बनाने के नियम कुछ इस प्रकार है।
1. अकारांत तथा आकारांत पुलिंग शब्द को ईकारांत कर देने से वे स्त्रीलिंग हो जाता है। जैसे –
मोटा-मोटी, काला-काली
देव-देवी, पुत्र-पुत्री
नाना-नानी लड़का-लड़की
नर-नारी, हिरन-हिरनी
साला-साली, बंदर-बंदरी
2. व्यवसायबोधक, जातिबोधक तथा उपनामवाचक शब्दों के अंतिम स्वर का लोप कर उनमे कही इन और कहीं आइन प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है। जैसे –
माली-मलिन, बनिया-बनियाइन
धोबी-धोबिन, लाला-ललाइन
पंडा-पंडाइन, मिसिर-मिसिराइन
तली-तेलिन, हलवाई-हलवाइन
3. कुछ उपनामवाचक शब्द ऐसे भी हैं, जिनमें आनी प्रत्यय लगाकर स्त्रीलिंग बनाया जाता है। जैसे –
ठाकुर-ठकुरानी, देवर-देवरानी
जेठ-जेठानी, सेठ-सेठानी
चौधरी-चौधरानी, पंडित-पंडितानी
4. कुछ शब्द ऐसे होते है जो स्त्री-पुरुष के जोड़े में होते है। वे स्वतंत्ररूप से स्त्रीलिंग या पुलिंग शब्द होते है। जैसे —
मॉ-बाप, राजा-रानी
भाई-बहन, वर-वधु
माता-पिता, साहब-मेम
गाय-बैल, बेटा-पतोहू
अर्थ के अनुसार लिंगनिर्णय
शब्द का लिंगभेद अर्थ के अनुसार करते है। क्योंकि कुछ शब्द ऐसे होते है, जो पुलिंग होते हुए भी स्त्रीलिंग के अपवाद होते है। और कुछ स्त्रीलिंग शब्द होते हुए भी पुलिंग का अपवाद होता है। आज हम इन्ही नियमो के बारे में विस्तारपूर्वक उल्लेख करेगे।
पुलिंग शब्द:
- धातुओ के नाम पुलिंग होते है; जैसे– लोहा, सोना, सीसा, ताँबा, रँगा, काँसा, पीतल, टिन इत्यादि।
- आपवद – चाँदी (अतः स्त्रीलिंग है )
- रत्नों के नाम पुलिंग होते है; जैसे — हीरा, मोती, पन्ना, जवार, मूँगा, नीलम, पुखराज, लाल इत्यादि।
- अपवाद – मणि, चुन्नी, लाड़ली इत्यादि (अतः स्त्रीलिंग है )
- अनाज के नाम पुलिंग होते है; जैसे— जौ, गेहुँ, चावल, चना, बाजरा, मटर, तिल इत्यादि।
- अपवाद – मकई, जुआर, मुग, केसरी इत्यादि। (अतः स्त्रीलिंग है )
- पेड़ो के नाम पुलिंग होते है; जैसे — आम, शीशम, चीड़, देवदारु, बड़, पीपल, सागौन, कटहल, अमरूद, शरीफा, निम्बू, अशोक, तमाल, सेब, अखरोट इत्यादि।
- अपवाद – नाशपाती, नारंगी, लीची, खिरनी इत्यादि। (अतः स्त्रीलिंग है )
- शरीर के अवयवो के नाम पुलिंग होते है; जैसे– मुँह, कान, दाँत, ओठ, पाँव, हाथ, गाल तालु, मस्तिक, बाल, अंगूठा, मुक्का, नाखून, नाथन, गट्टा इत्यदि।
- अपवाद — कलाई, नाक, कोहनी, आँख, जीभ, ठोड़ी, खाल, बॉह, नस, हड्डी, इंदिय, काँख इत्यादि।
- द्रव पदार्थो के नाम पुलिंग होते है; जैसे – पानी, तेल, घी, अर्क, शर्बत, इत्र, सिरका, काढ़ा, आसव, रायता इत्यादि।
- अपवाद – चाय, स्याही, शराब इत्यादि।(अतः स्त्रीलिंग है )
- भौगोलिक जल और स्थल आदि अंशो के नाम प्रायः पुलिंग होते हैं; जैसे — देश, नगर, रेगिस्तान, द्वीप, पर्वत, समुन्द्र, सरोवर, पाताल, वायुमंडल, प्रांत इत्यादि।
- अपवाद – पृथ्वि, झील, घाटी इत्यादि। (अतः स्त्रीलिंग है )
स्त्रीलिंग शब्द:
- नदियों के नाम स्त्रीलिंग होते है; जैसे – गंगा, यमुना, महानदी, गोदावरी, सतलज, रावी, व्यास, झेलम इत्यादि।
- अपवाद – सिंधु, शोण, ब्रह्मपुत्र नदी इत्यादि। ( अतः पुलिंग है )
- खाने-पीने की चीजों स्त्रीलिंग है; जैसे – पूरी, खीर, दाल, पकौडी, रोटी, चपाती, तरकारी, सब्जी, खिचड़ी इत्यादि।
- अपवाद – पराठा, हलुआ, भात, दही, रायता इत्यादि। ( अतः पुलिंग है )
- बनिये के दुकान का चीज़ो का नाम स्त्रीलिंग होते है; जैसे – लौंग, इलाइची, मिर्च, दालचीनी, हल्दी, जावित्री, सुपारी, हींग इत्यादि।
- अपवाद — जीरा, धनिया, गर्म मसाला, नमक, तेजपात, केसर, कपूर इत्यादि।( अतः पुलिंग है )
- नक्षत्रो के नाम स्त्रीलिंग है; जैसे – भरणी, अशिवनी, रोहिणी इत्यादि।
- अपवाद – अभिजित, पुष्य इत्यादि।( अतः पुलिंग है )
लिंगकोश | लिंग का उदाहरण
Ling का उदाहरण यानि शब्दावली इस प्रकार है:
पुलिंग शब्द
अ | अरमान, अपराध, अनाज, अनुसार,अबीर, अणु, अमृत, अनुदान, अकाल, अक्षत, आदि |
आ | आईना, आलू, आवेश, आसव, आश्रम, आटा, आवागमन, आविष्कार, आयोग, आरोप, आदि |
अं, अँ, आँ | अंगूर, अंतरिक्ष, अंचल, अंगार, आँसू, अंकगणित, अंतः करण, अँधेरा, आँज, आँख, आदि |
ओ, औ | ओठ, ओल, औजार, औसत, ओला, आदि |
इ, ई | इलाका, इस्तेमाल, इंतजार, इंसाफ, इत्र, इस्पात, इलजाम, इकतारा, इजलास, ईंधन, आदि |
उ, ऊ | उपवास, उतर, उफान, उबाल, उत्साह, उल्लू, ऊख, ऊन, ऊधम, ऊखल, आदि |
क | कंठ, कपूर, कपाट, कफ़न, कफ, करेला, कल्याण, कवच, कहल, कक्ष, कछुआ,आदि |
का | कागज, काँच, कार्य, काग, काठ, कार्तिक, कानन, कायाकल्प, आदि |
कि, की | किन्नर, किमाम, कीर्तन, कीचड़, आदि |
कु, कू | कुँआ, कुटीर, कुल, कुहासा, कुशल, कूड़ा, आदि |
के, को,कौ | केवड़ा, केशर, केश, कोट, कोष्ट, कोहनूर, कोष, कौर, कौआ, कौशल, कौतूहल, आदि |
ख | खजूर, खटमल, खपड़ा, खरगोश, खान, खुलाशा, खेल, खार, खेमा, आदि |
ग | गगन, गज, गजब, गदर, गबन, गर्व, गर्भाशय, गमन, गढ़, गंजा, गंधक, आदि |
घ | घट, घटाव, घड़ा, घड़ियाल, घन, घर्षण, घाघरा, घाघ, घाटा, घाव, घीघोल, घात, आदि |
च | चंदन, चन्द्रमा, चक्र, चढ़ाव, चप्पल, चकवा, चंद्रोदय, चकला, चंपक, चँद, आदि |
छ | छता, छाजन, छत्र, छलावा, छार, छटपट, छंद, छज्जा, छिद्र, छेद, आदि |
ज | जख्म, जहाज, जनपद, जाँता, जप, जलधर, जलपान, जी, जीरा, जिगर, जमाव, आदि |
झ | झंझ, झकोर, झाड़ी, झूमर, झाल, झींगुर, झुकाव, झुंड, आदि |
ट | टमटम, टाट, टापू, टिकट, टिकाव, टीन, टैक्सी, आदि |
ठ | ठहराव, ठीकरा,ठर्रा, ठप्पा, ठाटबाट, आदि |
ड | डंक, डंड, डग, डब्बा, डर, डमरू, डोल, आदि |
ढ़ | ढंग, ढव, ढोल, ढेर, ढोंग, आदि |
त | तंबाकू, तकिया, तट, तत्व, तन, तनाव, तप, तंत्र, तंतु, तरबूज, आदि |
थ | थल, थूक, थोक, थपेड़ा, थन, आदि |
द | दंगल, दबाव, दम, दमन, दर्जा, दर्पण, दल, दाम, दीप, दीया, दिवाली,आदि |
ध | धन, धंधा, धनुष, धर्म, धैर्य, ध्यान, धनिया, धक्का, आदि |
न | नभ, नगर, नमक, नरक, नेत्र, नियम, नीर, नीड़, न्यास, आदि |
प | पंख, पकवान, पक्षी, पन्ना, पहलू, पद, पहिया, प्रभाव, पुरस्कार, पुल, आदि |
फ | फल, फाग, फेन, फेटा, फेरा, फाटक, फूल, फर्क, फरेब, आदि |
ब | बचपन, बबूल, बचाव, बाल, बाज, बाट, बल, बर्तन, बजा, आदि |
भ | भँवर, भजन, भवन, भत्ता, भरण, भस्म, भाग्य, भार, भाल, आदि |
म | मकबरा, मकरंद, मजमा, मसूर, मठ, मतलब, मद, मद्य, मच्छर, मरहम, मरोड़, मवेशी, मलय, मलयगिरि, मलाल, आदि |
य | यंत्र, यक्ष्मा, यति (संन्यासी), यत्न, यम, यश, यातायात, आदि |
र | रक्त, रत्न, रबर, रमण, रहम, रहस्य, रोंगटा, रोग, रोब, रोमांच, रिवाज, रूमाल, आदि |
ल | लक्ष्य, लगान, लगाव, लटकन, लट्टू, लटाव,लालच, लिहाज, लिबास, आदि |
व | वजन, वज्र, वन, वनवास, वर, वरण, वर्जन, वसंत, विलास, विलयन, विष, विवाद, आदि |
श | शंख, शक, शतदल, शनि, शम, शयन, शर, शल्य, शव, शिखर, शिल्प, शिविर, शीर्ष, शील, आदि |
ष | षड्यंत्र, षडानन, षट्कर्म, षष्ठी, षष्ठ, षोडश, षाण्मासिक, आदि |
स | संकट, संकलन, संकेत, संकोच, संखिया, संगठन, सूप, सेतु, सेब, सेवन, सोच, सोन, आदि |
ह | हक, हठधर्म, हठयोग, हड़कंप, हमला, हरण, हरिण, हल, हवन, हवाला, हार (माला), हाल, , होंठ, होटल, होश, ह्रास, आदि |
पूछे जाने वाले प्रश्न: FAQs
Q. लिंग कितने प्रकार के होते हैं?
लिंग के मुख्यतः तीन भेद होते हैं-
- स्त्रीलिंग (स्त्री जाति)
- पुल्लिंग (पुरुष जाति)
- नपुंसकलिंग (जड़)
Q. पुल्लिंग और स्त्रीलिंग में अंतर क्या है ?
वह संज्ञा जिससे केवल स्त्री जाति का बोध हो, उसे स्त्रीलिंग कहते है. वह संज्ञा जिससे केवल पुरुष जाती का बोध हो,उसे पुलिंग कहते है.