वचन की परिभाषा, भेद, उदाहरण एवं नियम

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वचन हिंदी व्याकरण का मुख्य आधार है. क्योंकि, इसके प्रयोग से वाक्यों को शुद्ध एवं अर्थवान बनाया जाता है जो किसी भी शब्द या वाक्य को सही तरह से प्रस्तुत करने में मदद करता है. Vachan का अध्ययन हिंदी ग्रामर में सबसे महत्वपूर्ण है क्योंकि, इसके बिना किसी भी वाक्य का सही प्रयोग संभव नही है.

अर्थात, वचन का प्रयोग एक या एक से अधिक के रूप में होता है जो संख्या का बोध कराता है. सभी भाषा के अनुसार Vachan आवश्यक होते है जिसे निम्न प्रकार प्रभाषित किया जाता है. यदि किसी संज्ञा से किसी संख्या का बोध होता है, तो उसे वचन कहते है.

परिभाषा भिन्न हो सकता है लेकिन भाव और उद्देश्य लगभग समान ही होता है. इसलिए, यहाँ वचन की परिभाषा, नियम, भेद और उदाहरण का अध्ययन विस्तार से करेंगे ताकि वचन के सम्बन्ध में कोई संदेह न शेष रहे.

वचन की परिभाषा

शब्द के जिस रूप से हमे यह पता चले, कि इससे एक या एक से अधिक वस्तु या पदार्थ का बोध है, तो उसे ‘वचन’ कहते है। शब्दो के संख्याबोधक विकारी रूप का नाम ही ‘वचन’ है. 

दूसरे शब्दों में –  संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रुप से संख्या का बोध हो, उसे वचन कहते हैं. जैसे- लड़की, लडकियाँ. 

वचन का शाब्दिक का अर्थ है,  संख्यावाचक। अर्थात संख्यावाचक को ही संक्षेप में ‘वचन’ कहते है.

वचन किसे कहते है?

वचन: वचन का अर्थ होता है – बोली, लेकिन हिंदी ग्रामर में “वचन” संख्याबोधक होता है. संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या (एक या अनेक) का बोध हो, उसे वचन कहते है.

उदाहरण

  • लड़का  खेलता है.
  • लड़के खेलते है.
  • बच्चा सो गया.
  • बच्चे सो गये.
  • गाय चरती है.
  • गाये चरती है.

वचन के प्रकार

हिंदी व्याकरण में ‘वचन’ दो प्रकार के होते हैं. जबकि संस्कृत व्याकरण में वचन तीन प्रकार के होते हैं. जैसे; एकवचन, द्विवचन, बहुवचन. और इंग्लिश ग्रामर में वचन दो, Singular और Plural होते है. हिंदी व्याकरण में वचन निम्न प्रकार है:

  1. एकवचन
  2. बहुवचन

इन दोनों वचनों का अध्ययन निचे नियम एवं परिभाषा के अनुसार विस्तार से करेंगे

एकवचन किसे कहते है?

संज्ञा के जिस रुप से हमें किसी एक व्यक्ति या वस्तु का पता चले, उसे एकवचन कहते हैं.

दूसरे शब्दो मे

शब्द के जिस रूप से एक व्यक्ति या वस्तू का बोध हो, उसे ‘एकवचन’ कहते है.

जैसे:- लड़का, घोड़ा, बच्चा, गाय, बैल, चिड़िया, लता, टोपी, मोटर, स्त्री, लड़की, गमला, तोता, घड़ी, मै, यह, वय, तुम, रहीम, बहन, शखा, कलम, कुत्ता, घोड़ा इत्यादि।

बहुवचन किसे कहते है?

संज्ञा के जिस रुप से एक या एक से अधिक व्यक्ति और वस्तु का बोध हो, उसे बहुवचन कहते है.

दूसरे शब्दों में

शब्द के जिस रूप से एक से अधिक व्यक्तियों या वस्तु का बोध हो, उसे बहुवचन कहते है.

जैसे :- लड़के, बच्चे, गाये, लताएं, टोपियां, स्त्रियां, लड़कियां, वे, ये, आपलोग, हमलोग, घोड़े, कपड़े, पहिये, शाखाएं, सड़के, तुमलोग, शाखाएँ, बहनें इत्यादि.

अवश्य पढ़े,

एक वचन और बहुवचन बनाने का नियम

वचन के कारण सभी शब्दो – संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया – के रूप विकृत होते हैं. किंतु, यहाँ ध्यान देने की बात यह है कि सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के रूप मूलतः संज्ञाओं पर ही आश्रित है इसलिए ‘वचन‘ में संज्ञा शब्दों का रूपांतरण होता है.

वाचन के अधीन संज्ञा के रूप दो तरफ परिवर्तित होते हैं। विभक्तिरहित और विभक्तिसहित।

उदाहरण:

एकवचनबहुवचन (विभक्तिरहित)बहुवचन (विभक्तिसहित)
लड़कालड़केलड़कों (ने, का, के, की, में, पर आदि)
बालकबालकबालकों (ने, का, के, की, में, पर आदि)
लतालताएँलताओं (ने, का, के, की, में, पर आदि)
नदीनदियाँनदियों (ने, का, के, की, में, पर आदि)

विभक्तिरहित संज्ञाओ के बहुवचन बनाने के नियम

1. पुलिंग संज्ञा की आकारांत को एकारांत कर देने पर बहुवचन बनता है.

अर्थात, आकारांत पुलिंग संज्ञा के “आ” को “ए” में बदलने से बहुवचन बनता है. जैसे – 

एकवचनबहुवचन
पहियापहिये
लड़कालड़के
गायगाये
बच्चाबच्चे
कपड़ाकपड़े
घोड़ाघोड़े

2. जिस स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अंत में ‘या’ आता है उनमें ‘या’ के ऊपर चंद्रबिंदु लगाने से बहुवचन बनता है; जैसे —

एकवचनबहुवचन
चिड़ियाचिडियाँ
गुड़ियागुड़ियाँ
डिबियाडिबियाँ

3. अ-आ-इ-ई के अलावा अन्य मात्राओं के अंत होने वाली स्त्रीलिंग संज्ञाओं के अंत में ‘ऍ’ जोड़कर बहुवचन बनाया जाता है. अंतिम स्वर ‘ऊ’ हुआ तो उसे ह्रस्व कर ‘एँ’ जोड़ते हैं। जैसे :-

एकवचनबहुवचन
बहुबहुएँ
वस्तुवस्तुएँ

4. संज्ञा के पुलिंग अथवा स्त्रीलिंग रूप में बहुवचन का बोध  प्रायः ‘गण’, ‘वर्ग’, ‘जन’, ‘लोग’,  ‘वृंद’,  इत्यादि लगाकर कराया जाता है. जैसे; :-     

एकवचनबहुवचन
पाठकपाठकगण
अधिकारीअधिकारीवर्ग
स्त्रीस्त्रीजन
नारीनारीवृंद
आपआपलोग

5. पुलिंग आकारांत के सिवा शेष मात्राओं से अंत होने वाले शब्दों के रूप दोनों वचनों में एक से ही रहते हैं. जैसे–                                                                

एकवचनबहुवचन
बालक पढ़ता है।बालक पढ़ते है।
हाथी आता है।हाथी आते है।
उल्लू बैठा है।उल्लू बैठे है।
दयालु आया।दयालु आए।
पति है।पति है।
साधु आया है।साधु आए है।

6. आकारांत स्त्रीलिंग एकवचन संज्ञा – शब्दो में ‘ऍ’ लगाने से बहुवचन बनता है. जैसे –

एकवचनबहुवचन
शाखाशाखाएँ
वार्तावार्ताएँ
कथाकथाएँ
लतालताएँ
कामनाकामनाएँ
अध्यापिकाअध्यापिकाएँ

7. आकारांत स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन संज्ञा के अंतिम ‘अ’ को ‘ऍ’ कर देने से बनता है. जैसे–

एकवचनबहुवचन
रातराते
गायगाये
बहनबहने
सड़कसड़के
बातबाते
आदतआदते

8. इकारांत या ईकारांत स्त्रीलिंग संज्ञाओ में अत्य ‘ई’ का ह्रस्व कर अंतिम वर्ण के बाद ‘यॉ’ जोड़ने, अर्थात अंतिम ‘इ’ या ‘ई’ को ‘इयॉ’ कर देने से बहुवचन बनता है. जैसे —

एकवचनबहुवचन
तिथितिथियाँ
नारीनारियाँ
रीतिरीतियाँ
नीतिनीतियाँ

विभक्तिसहित संज्ञाओ के बहुवचन बनाने के नियम

विभक्तियों से युक्त होने पर शब्दो का बहुवचन के रूप बनाने में लिंग के कारण कोई परिवर्तन या व्यवधान नही होता है. इससे कुछ सामान्य नियम निम्नलिखित है.

1. सभी इकारांत और ईकारांत संज्ञाओ का बहुवचन बनाने के लिए अंत में ‘यों’ जोड़ा जाता है. इकारांत शब्दों में ‘यों’ जोड़ने के पहले ‘ई‘ का ‘इ’ कर दिया जाता है, जैसे —

एकवचनबहुवचनविभक्तिचीन्ह के साथ प्रयोग
घरघरोंघरों का घेरा।
चोरचोरोचोरो को पकड़ो।
गधागधोंगधों की तरह।
लड़कालड़कोलड़को ने कहा।
घोड़ाघोड़ोघोड़ो पर चढ़ो।

2. संस्कृत की आकारांत तथा संस्कृत हिंदी की सभी उकारांत, ऊकारांत, अकारांत, औकारांत संज्ञाओ को बहुवचन का रूप देने के लिए अंत मे ‘ओ’ जोड़ना पड़ता है. ऊकारांत शब्दों में ‘ओ’ जोड़ने के पूर्व ‘ऊ’ को ‘उ’ कर दिया जाता है. जैसे –

एकवचनबहुवचनविभक्तिचीन्ह के साथ प्रयोग
वधुवधुओवधुओ से पूछो।
साधुसाधुओयह साधुओ का समाज है।
घरघरोघरो में जाओ।
लतालताओंलताओं को देखो।
जौजौओजौओ को काटो।

3. सभी इकारांत और ईकारांत संज्ञाओ का बहुवचन बनाने के लिए अंत में ‘यो’ जोड़ा जाता है। इकारांत शब्दों में ‘यों’ जोड़ने के पहले ‘ई’ कर दिया जाता है। जैसे –

एकवचनबहुवचनविभक्तिचीन्ह के साथ प्रयोग
मुनिमुनियोमुनियों के यज्ञशाला।
गलीगलियोंगलियों में गए।
नदीनदियोंनदियों का प्रवाह।
साड़ीसाड़ियोंसाड़ियों के दाम दीजिए।
श्रीमतीश्रीमतियोश्रीमतियो का मिलन हुआ।

वचन से सम्बंधित कुछ विशेष बातें

1. कुछ स्त्रीलिंग या पुलिंग एकवचन शब्दों में गण, वर्ग, जन, जाति, वृन्द, लोग, आदि शब्द लगाने से भी बहुवचन बनता है. जैसे

गणपाठकगण, छात्रगण, नेतागण, मंत्रिगण, आदि
वर्गशासकवर्ग, अधिकारीवर्ग, शोषकवर्ग, आदि
जनवृद्धजन, स्त्रीजन, भक्तजन, गुरुजन, आदि
जातिमनुष्यजाति, स्त्रीजाति, पुरुषजाति, मानवजाति, आदि
वृन्दनारीवृन्द, शिक्षकवृन्द, पाठकवृन्द, आदि
लोगआपलोग, डॉक्टरलोग, विद्यार्थीलोग, आदि

2. आदर दिखाने के लिए कभी-कभी एकवचन संज्ञा का प्रयोग बहुवचन जैसे होता है. जैसे

  • दादाजी आये.
  • मेरे पिताजी आए
  • उनकी माँजी आयी.
  • एक गुरूजी आ रहे है.
  • गाँधीजी महामानव थे.

वचन सबंधी विशेष निर्देश

1. ‘प्रत्येक’ तथा ‘हरएक’ का प्रयोग सदा एकवचन में होता है. जैसे —

प्रत्येक व्यक्ति यही कहेगा, हरएक कुँआ मीठे जल का नही होता।

2. दुसरी भाषाओ के तत्सम या तद्भव शब्दों का प्रयोग हिंदी व्याकरण के अनुसार होना चाहिए. उदाहरणार्थ, अंग्रेजी के ‘फुट’ का बहुवचन ‘फिट’ होता है. किंतु हिंदी में इसका प्रयोग इस प्रकार होगा –

‘दो फुट लम्बी दीवार है; न कि दो फीट लंबी दीवार है.’ फ़ारसी से आए ‘मकान’ या ‘कागज’ का बहुवचन हिंदी में फ़ारसी के ही अनुसार ‘मकानात’ या ‘ कागजात’ नही होगा.

3. भाववाचक और गुणवाचक  संज्ञाओ का प्रयोग एकवचन में होता है. जैसे – मै उनकी सज्जनता पर मुग्ध हूँ. लेकिन, जहाँ संख्या या प्रकार का बोध हो, वहा गुणवाचक और भाववाचक संज्ञाऍ बहुवचन में भी प्रयुक्त हो सकता है जैसे – इस ग्रंथ की अनेक विशेषताऍ या खूबियां है. मैं उनकी अनेक विशेषताओं को जानता हूं.

4. प्राण, लोग, दर्शन, आंसू और दाम अक्षत इत्यादि शब्दों का प्रयोग हिंदी में बहुवचन में होता है जैसे –

आपके ओठ खुले की प्राण तृप्त हुए. आपलोग आए, आशीर्वाद के अक्षत बरसे, दर्शन हुए.

5. द्रव्यवाचक संज्ञाओं का प्रयोग एकवचन में होता है. जैसे – उनके पास बहुत सोना है; उनका बहुत सा धन बर्बाद हुआ; न नौ मन तेल होगा; न राधा नाचेगी. किन्तु यदि द्रव्य के भिन्न – भिन्न  प्रकारों का बोध हो, तो द्रव्यवाचक संज्ञा बहुवचन में प्रयुक्त होगी. जैसे – यहाँ  बहुत तरह के लोहे मिलते है. चमेली, तिल, इत्यादि के  तेल अच्छे होते है.

वचन के उदाहरण

अभी तक पढ़े गए नियमों का उदाहरण निचे उपलब्ध है जो Vachan के सन्दर्भ में आवशयक जानकारी एवं तथ्य प्रदान करेगा:

एकवचनबहुवचन
गुरुगुरुजन
खिलाड़ीखिलाड़ी
नदीनदियाँ
नारीनारियाँ
मोरमोर
भक्तभक्तगण
टुकड़ीटुकड़ियाँ
धातुधातुएँ
धेनुधेनुएँ
जातिजातियाँ
लेखकलेखकगण
थालीथालियाँ
फसलफसलें
औज़ारऔज़ार
हथियारहथियार
तिथितिथियाँ
मातामाताएँ
गलीगलियाँ
मुर्गीमुर्गियाँ
कामनाकामनाए
गन्नागन्ने
झाड़ीझाड़ियाँ
बहूबहुएं
लतालताएँ
प्यालाप्याले
रिश्तारिश्ते
कलमकलमें
लड़कीलड़कियाँ
कहानीकहानियाँ
कविताकविताएँ
गुड़ियागुड़ियाँ
गतिगतियाँ
विद्याविद्याएँ
पत्रिकापत्रिकाएँ
गधागधे
पपीतापपीते
घड़ीघड़ियाँ
विद्यार्थीविद्यार्थीगण
नालीनालीयाँ
सपेरासपेरे
आँखआँखें
टाँगटाँगें
बकरीबकरियाँ
दूरीदूरियाँ
चुहियाचुहियाँ
बिल्लीबिल्लियाँ
बातबातें
चुटियाचुटियाँ
गौगौएँ
भुजाभुजाएँ
रीतिरीतियाँ
कविकविगण
पक्षीपक्षीवृंद
ढेलाढेले
सहेलीसहेलियाँ
मुद्रामुद्राएँ
अध्यापिकाअध्यापिकाएँ
पुस्तकपुस्तकें
गरीबगरीब लोग
व्यापारीव्यापारीगण
पौधापौधे
शेरशेर
तरुतरुओं
सेनासेनादल
शिक्षकशिक्षकगण
बर्तनबर्तन
जानवरजानवर
मछलीमछलियाँ
पक्षीपक्षीवृंद
चश्माचश्मे
श्रोताश्रोतागण
रास्तारास्ते
रेखारेखाएँ
साथीसाथियों
साड़ीसाड़ियाँ
नज़दीकनज़दीकियाँ
कलाकलाएँ
शीशाशीशे
कर्मचारीकर्मचारीवर्ग
आत्माआत्माएँ

सामान्य प्रश्न: FAQs

Q. वचन किसे कहते है और कितने प्रकार के होते हैं?

शब्द के जिस रूप से एक या एक से अधिक व्यक्ति का बोध हो, उसे वचन कहते हैं। जैसे; बच्चा , कपड़ा , माता , पिता , माला, गायें , कपड़े , टोपियाँ , मालाएँ , माताएँ , पुस्तकें आदि. वचन दो प्रकार के होते है जिसका नाम एकवचन और बहुवचन है.

Q. वचन से आप क्या समझते हैं?

संज्ञा के जिस रूप से एक या एक से अधिक व्यक्ति, वस्तु आदि होने का पता चले, तो उसे वचन कहते हैं। वचन का शाब्दिक अर्थ ही संख्यावचन होता है, इसलिए संख्यावचन को ही वचन कहते हैं।

Q. एकवचन और बहुवचन क्या होता है?

संज्ञा शब्द के जिस रूप से एक ही वस्तु का बोध हो, तो उसे एकवचन तथा शब्द के जिस रूप से एक से अधिक का बोध हो उसे बहुवचन कहते हैं. जैसे; पुस्तक, स्त्री, टोपी, लड़के, गायें, कपड़े, आदि.

Q. वचन का नियम क्या होता है?

यदि किसी शब्द का आदान-प्रदान किया जाता है तो प्रत्येक शब्द दुसरे सब्द के लिए विचार करता है.

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