संख्या पद्धति गणित का मुख्य अधार माना जाता है. क्योंकि, यह गणना करने का मुख्य स्त्रोत होते है. जब तक संख्ययों का ज्ञान नही होता तब तक आप गणित के अच्छे जानकर नही हो सकते है. संख्याओं से ही मैथ्स की पहचान पूर्ण होती है.
प्रतियोगिता परीक्षाओं में तो संख्या पद्धति पर लगभग एक दर्जन से अधिक प्रश्न पूछे जाते है. हालांकि यह सिर्फ प्रतियोगिता परीक्षाओं के लिए ही आवशयक नही है बल्कि अकादमिक पढ़ाई के लिए भी आवश्यक है. संख्या पद्धति प्रशों को हल करने में एवं स्थिति को सरल बनाने में आपको आन्तरिक शक्ति प्रदान करते है.
संख्या पद्धति की सम्पूर्ण जानकारी, मैथ्स को अपना प्रिय विषय बनाने में मदद करता है और यही सिर्फ एक ऐसा माध्यम है जिसे विस्तार से पढ़ने के बाद आपको कभी भी गणित से भय नही लगता है और मैथ्स की तैयारी करने में मदद करता है.
संख्या पद्धति की भेद एवं परिभाषा – सूत्र, प्रकार, ट्रिक्स और प्रश्न उत्तर
Number System definition in Hindi के माध्यम से सभी आवश्यक संख्याओं का परिभाषा एवं उदाहरण का ग्रुप यहाँ दिया गया है जो संख्याओं को समझने में सरल बनता है.
- संख्या (Number):- जो वस्तु के परिमाण अथवा इकाई का अपवर्त्य अथवा प्रश्न कितने? का जवाब देता है, संख्या कहलाता है.
- जैसे:- 5 किताब, 10, 15, आदि.
- अंक (Digit):- किसी अंकन पद्धति में जिससे संख्या बनाया जाता है वह अंक कहलाता है. दसमलव अंकन पद्धति में दस अंकों 0, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9 का प्रयोग किया जाता है.
- संख्यांक (Numerals):- संख्या को निर्देशित करने वाले अंकों अथवा संकेतों के समूह को संख्यांक कहा जाता है.
Note: संख्या पद्धति के विभिन्न रूप होते है, जिसका अध्ययन निचे विस्तार से करेंगे, जिसे प्रत्येक विद्यार्थी को जानना आवश्यक है.
प्राकृत संख्याएं (Natural Numbers)
वे संख्याएँ, जिनसे वस्तुओ की गणना की जाती है, प्राकृत संख्या कहलाती है. Or
वस्तुओं को गिनने के लिए जिन संख्याओं का प्रयोग किया जाता है, उन्हें गणन संख्याएँ या प्राकृत संख्याएँ कहते हैं.
Or
गिनती की प्रक्रिया को, प्राकृत संख्या कहा जाता है.
जैसे ;- 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, . . . . ∞ (अनंत तक)
Note:-
- प्रकृत संख्याएँ धनात्मक होती है
- 1 सबसे छोटी प्रकृत संख्या है
- शून्य को प्रकृत संख्या नहीं होती है
- प्राकृत संख्या ‘N’ से प्रदर्शित किया जाता है
पूर्ण संख्याएं:- यदि प्राकृत संख्याओ में शून्य (0) को सम्मिलित कर लिया जाए, तो उन संख्याओ को पूर्ण संख्याएँ करते है. Or
प्राकृत संख्या के समूह में शून्य को सम्मिलित करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं, वे ‘पूर्ण संख्याएँ’ कहलाती हैं.
जैसे- 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, . . . ∞
Note:-
- पूर्ण संख्या को ‘W’ से प्रदर्शित किया जाता है
- पूर्ण संख्या शून्य से शुरू होती है
- प्रत्येक प्राकृत संख्या पूर्ण संख्या होती अहि
पूर्णाक संख्याएं (Integers) :-
पूर्ण संख्याओ में ऋणात्मक संख्याओं को सम्मिलित करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती है उन्हें पूर्णाक संख्याएँ करते है. Or
प्राकृत संख्याओं के समूह में शून्य एवं ऋणात्मक संख्याओं को सामिल करने पर जो संख्याएँ प्राप्त होती हैं, वे संख्याएँ ‘पूर्णांक संख्या कहलाती हैं.
जैसे- -3, -2, -1, 0, 1, 2, 3, . . .
Note:-
- पूर्णांक संख्या को ‘I’ से सूचित किया जाता है
- पूर्णांक संख्या धनात्मक एवं ऋणात्मक दोनों होते है
- I+ = 0,1,2,3,4,5… इस प्रकार के संख्या को धनात्मक पूर्णांक तथा
- I– = -1,-2,-3,-4,-5…. एस प्रकार के संख्या को ऋणात्मक पूर्णांक संख्या कहा जाता है
- शून्य (0) न तो धनात्मक और न ही ऋणात्मक पूर्णांक संख्या है
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सम संख्याएँ (Even Numbers):- वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतः विभाजित हो जाती हैं उन्हें ‘सम संख्याएँ’ कहते हैं.
जैसे 2,4,6,8,10,12….
विषम संख्याएं :- वे संख्याएँ जो 2 से पूर्णतया विभाजित नहीं होती है. वैसी संख्याएँ को विषम संख्या कहा जाता है.
जैसे- 1, 3, 5, 11, 17, 29, 39 ……
भाज्य संख्याएँ: वे संख्याएँ जो स्वयं और 1 के अतिरिक्त किसी अन्य संख्या से पूर्णतः विभाजित होती है, तो वह भाज्य संख्या कहलाती है.
जैसे- 4, 6, 8, 9, 10, 12, 14, 15, ……
Note:-
- भाज्य संख्या सम एवं विषम दोनों होती है.
अभाज्य संख्याएं :- वे संख्याएँ जो स्वयं और 1 के अलावा अन्य किसी संख्या से विभक्त नहीं होती हैं, तो वह अभाज्य संख्या कहलाती हैं.
जैसे- 2, 3, 7, 11, 13, 17, 19….
Note:-
- 1 न तो अभाज्य संख्या और न ही भाज्य संख्या है.
असहभाज्य संख्याएँ (Co-Prime Numbers)
जब दो या दो से अधिक संख्याओं के समूह में कोई भी उभयनिष्ठ गुणनखंड न हो, अथवा जिसका म.स. (HCF) 1 हो, तो वे सह-अभाज्य संख्याएँ कहलाती हैं. Or
ऐसी संख्याओं के युग्म (जोड़े) जिनके गुणनखण्डों में 1 के अतिरिक्त कोई भी उभयनिष्ठ गुणनखण्ड न हो, तो उन्हें सह-अभाज्य संख्या कहते हैं.
जैसे- (4,9) , (12,25) ,(8,9,13) आदि के गुणनखंड में 1 के अतिरिक्त को अन्य गुणनखंड है.
युग्म-अभाज्य संख्याएँ:- ऐसी अभाज्य संख्याएँ, जिनके बीच का अंतर 2 हो, वो युग्म-अभाज्य संख्याएँ कहलाती हैं.
जैसे- (11, 13), (3, 5) आदि
परिमेय संख्या (Rational Numbers)
वह संख्या जो p/q के रूप में लिखा जा सकता है, उसे परिमेय संख्या कहते है.
जहाँ p तथा q पूर्णांक हैं एवं q ≠ 0
अर्थात p और q दोनों पूर्णांक हो लेकिन q कभी शून्य न हो.
जैसे- 4, 1.77 , 0 , 2/3 आदि
Note:-
- प्रत्येक पूर्णांक संख्या एक परिमेय संख्या होती है.
- प्रत्येक प्राकृत संख्या पूर्णांक संख्या होती है.
अपरिमेय संख्याएँ (Irrational Numbers)
वह संख्या जिसे p/q के रूप में नहीं लिखा जा सकता है, वह अपरिमेय संख्या कहलाती है.
जहाँ p तथा q पूर्णांक हैं एवं q ≠ 0
जैसे – √2, 5 + √3 , √2 , 5 1/3 , π …..
Note:-
- π एक अपरिमेय संख्या होती है.
वास्तविक संख्याएं (Real Numbers)
परिमेय तथा अपरिमेय संख्याओं के सम्मिलित रूप को, वास्तविक संख्या कहा जाता है.
जैसे:- π, ,√2,√3,21/4, 2.3 आदि
Note:-
- वास्तविक संख्या को Rez या R से सूचित किया जाता है.
काल्पनिक संख्याएँ (Imaginary Numbers)
ऋणात्मक संख्यायों का वर्गमूल करने पर जो संख्याएं बनती हैं , वह काल्पनिक संख्या कहलाती हैं.
जैसे:- √( – 2), √ (- 5)
Note:-
- काल्पनिक संख्या को Imz से सूचित किया जाता है.
- i काल्पनिक संख्या मुख्य पहचान है.
संख्या पद्धति के याद करने योग्य प्रमुख बातें
1. सभी पूर्णाक, परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ ऋणात्मक एवं धनात्मक दोनों हो सकती हैं.
2. अभाज्य एवं यौगिक, सम तथा विषम संख्या होती हैं.
3. वैसी अभाज्य संख्याएँ जिनके बीच केवल एक सम संख्या होती है, तो वे अभाज्य जोड़ा कहलाती है.
जैसे: – (5, 7), ( 3, 5) आदि
4. सभी पूर्णाक, परिमेय एवं वास्तविक होते हैं.
5. सभी पूर्ण, पूर्णांक संख्याएँ, परिमेय एवं वास्तविक होती हैं.
6. सभी भिन्न संख्याएँ परिमेय होती हैं.
7. सभी प्राकृत संख्याएँ, पूर्ण, पूर्णाक, परिमेय एवं वास्तविक होती हैं .
8. सभी पूर्णांक, परिमेय एवं अपरिमेय संख्याएँ वास्तविक होती हैं.
9. प्राकृत, अभाज्य , यौगिक , सम, विषम, एवं पूर्ण संख्याएँ कभी भी ऋणात्मक नहीं होती हैं. यंही ये संख्याएँ हमेशा धनात्मक रूप में होती है.
10. सबसे छोटी परिमेय संख्या 1 होती है.
11. सबसे बड़ी परिमेय संख्या ज्ञात नही है.
12. सबसे बड़ी पूर्ण संख्या ज्ञात नही है.
13. शून्य एक सम्पुर्नांक है.
14. 2 एक मात्र सैम आभाज्य संख्या है.
15. 2 को छोड़कर सभी आभाज्य संख्या विषमपूर्णांक है.
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सामान्य प्रश्न: FAQs
संख्या पद्धति 12 प्रकार का होता है, जिसके नाम इस प्रकार है:
प्राकृतिक संख्या
सम संख्या
विषम संख्या
पूर्ण संख्या
पूर्णांक संख्या
भाज्य संख्या
अभाज्य संख्या
सह अभाज्य संख्या
परिमेय संख्या
अपरिमेय संख्या
वास्तविक संख्या तथा
अवास्तविक संख्या
भारतीय संख्या पद्धति में संख्या को इकाई, दहाई, सैकड़ा, हजार ,दस हजार, लाख, दस लाख ,करोड़,दस करोड़ ,अरब ,दस अरब .. आदि के रूप में लिखते है.
संख्याओं को लिखने एवं उनके नामकरण के व्यवस्थित नियमों को संख्या पद्धति कहते हैं.